जबलपुर,हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मप्र सरकार से पूर्व मुख्यमंत्रियों के निजी व सरकारी बंगलों की सूची तलब की है। शासन को जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया गया है।
हाईकोर्ट में एक विधि छात्र रोशन यादव ने एक अंतरिम आवेदन के जरिए आवास व वेतनभत्ता अधिनियम में हुए ताजा संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अंतरिम आवेदन को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए सरकार से 4 सप्ताह के भीतर जवाब-तलब कर लिया। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान रोशन का पक्ष अधिवक्ता विपिन यादव ने रखा। उन्होंने दलील दी कि सरकार का ताजा अधिनियम संशोधन इसलिए चुनौती के योग्य है, क्योंकि इसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को वर्तमान मंत्रियों के समान वेतनभत्ता और शासकीय बंगला आदि की सुविधा दिए जाने का प्रावधान बरकरार रखा गया है। इसलिए संशोधित अधिनियम की संवैधानिक वैधता का परीक्षण अत्यंत आवश्यक है। यदि परीक्षण के बाद संशोधन असंवैधानिक पाया जाए तो उसे निरस्त किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जिसमें पूछा है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को शासकीय बंगलों एवं अन्य सुविधाओं के साथ-साथ उनके भोपाल स्थित निजि आवासों की जानकारी दी जाए।