भोपाल,पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार सुनवाई शुरू कर ही दी। इस दौरान राज्य सरकार और आरक्षित वर्ग के कर्मचारी संघ अजाक्स के वकीलों ने प्रकरण संविधान पीठ को रैफर करने की अपील की।हालांकि कोर्ट ने अपील स्वीकार नहीं करते हुए सुनवाई जारी रखी। पहले ही दिन करीब साढ़े तीन घंटे बहस चली। मामले में बुधवार को भी सुनवाई जारी रही। इस दौरान कोर्ट ने सपाक्स का पक्ष सुना। सुनवाई के पहले दिन सरकार और अजाक्स के वकीलों ने एम. नागराज प्रकरण के फैसले पर सवाल उठाए।
सूत्र बताते हैं कि सरकार के वकील मनोज गोरकेला ने मंगलवार को फिर से सुनवाई आगे बढ़ाने का निवेदन किया, लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया। सुनवाई शुरू होते ही सरकार और अजाक्स के वकीलों ने प्रकरण संविधान पीठ को रैफर करने की मांग की। उन्होंने एम. नागराज प्रकरण में दिए गए फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वह फैसला सही नहीं है। फिर अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों के संगठन सपाक्स के वकील राजीव धवन ने अपना पक्ष रखा। मालूम हो कि एम. नागराज मामले में वर्ष 2006 में फैसला आया था, जिसे आधार मानकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार सहित अन्य राज्यों के पदोन्नति में आरक्षण मामले में फैसले सुनाए गए हैं। मध्य प्रदेश को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को ‘लोक सेवा (पदोन्नति) अधिनियम 2002″ खारिज कर दिया था। करीब 18 माह से मामले में लगातार सुनवाई टल रही है। इस बार भी सरकार ने सुनवाई टलवाने की कोशिश की थी। प्रकरण में मंगलवार से सुनवाई प्रस्तावित थी। इसलिए सोमवार को सरकार के वकील मनोज गोरकेला ने कोर्ट में सुनवाई आगे बढ़ाने का आवेदन दे दिया। हालांकि न्यायाधीश ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।