बिलासपुर,सुकमा जिला पोलमपल्ली थाना के पलामडगू निवासी पीडि़त महिला ने पुलिस पर फर्जी एनकाउन्टर करने का आरोप लगाया है। पीडि़त महिला ने आज हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद पत्रकारों से बातचीत की है। महिला के अनुसार उसके भाई पोडियम भीमा को जबरदस्ती नक्सली बताकर मौत के घाट उतारा है। मामले की न्यायायिक जांच के अलावा परिवार को आर्थिक सुरक्षा के साथ फर्जी एनकाउन्टर में मारे गए भीमा की पत्नी और बच्चों को संरक्षण दिया जाए।
पीयूसीएल अध्यक्ष डॉ.लाखन सिंह ने प्रेस वार्ता में बताया कि कुछ दिनों पहले सुकमा के जवानों ने फर्जी एनकाउन्टर में पलामडगू के किसान पोडियम भीमा को मौत के घाट उतार दिया। मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए। पिछले एक साल के दौरान गांव में इस तरह की चौथी घटना है। जवान घर के अन्दर घुसकर किसी को भी जबरदस्ती उठा ले जाते हैं। बाद में उन्हें बिना कसूर के एनकाउन्टर कर दिया जाता है। डॉ. लाखन ने पत्रकारों को बताया कि इसके पहले भी पुलिस जवान दो लड़कियों को घर से उठाकर ले गए। बलात्कार के बाद उनका एनकाउन्टर कर दिया।
पीयूसीएल अध्य़क्ष डॉ. लाखन ने बताया कि भीमा अपने घर में तीन बहनों के बीत एकलौता भाई थाघर से निकाला। उस समय भीमा चठ्ठी पहना हुआ था। दूसरे दिन पास के जंगल में बन्दूकधारियों ने फर्जी एनकाउन्टर कर मार डाला।
लाखन ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि फर्जी एनकाउन्टर से पहले भीमा के लिंग को काटा गया है। मृत शरीर पर जगह जगह चोट के निशान पाए गए हैं। इससे जाहिर होता है कि एनकाउन्टर से पहले पुलिस ने भीमा को बहुत । भीमा के कंधों पर घर की जिम्मेदारी थी। लेकिन एक रात बन्दूकधारी जवान भीमा के घर पहुंचे। आंख पर तौलिया बांधकर घसीटते हुए प्रताडि़त किया है।
पत्रकार वार्ता में डॉ.लाखन के अलावा भीमा की बहन बारते कन्नी और पत्नी कोयन्दे भी मौजूद थी। इस दौरान नवजात मासूम बच्चा भी नजर आया। कन्नी और कोयन्दे ने बताया कि घटना में शामिल तीन लोगों को पहचानती है। तीनों पहले नक्सली थे। आत्मसमर्पण के बाद पुलिस में शामिल हो गए। जब भीमा को पुलिस के जवान घर ले जा रहे थे तो उसने चिल्लाकर कहा कि किसान है। बावजूद इसके दूसरे दिन पुलिस ने फर्जी एनकाउन्टर में मार डाला।
डॉ.लाखन के अनसुार भीमा तीन बहनों के बीच इकलौता भाई था। जिस दिन भीमा को मारा गया। उसी दिन उसकी पत्नी ने चौथे संतान को जन्म दिया। भीमा की अन्य तीन संतान अभी भी नाबालिग हैं। घटना के बाद पुलिस ने एनकाउन्टर से इंकार किया। इस बीच भीमा की लाश के लिए पीडि़त परिवार को पोलमपल्ली और दोरनापाल थाने के बीच दौड़ाया गया। बाद में लाश को दोरनापाल थाने से पीडि़त परिवार को दिया गया।
लाखन ने पत्रकारों को जानकारी दी कि स्थानीय पुलिस ने पी़डि़त परिवार को मीडिया के सामने मुंह खोलने से मना किया। परिवार पर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया। यही कारण है कि उच्च न्यायालय में याचिका लगाने में देरी हुई। भीमा की बहन और पत्नी ने न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई है। मुआवाजा के अलावा घटना की जांच विशेष टीम से करवाने की मांग की है।