जयपुर,राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने भारी विरोध के बावजूद सोमवार को आपराधिक कानून (राजस्थान संसोधन) विधेयक को विधानसभा के पटल पर रख दिया। विधानसभा से इस विवादित विधेयक के पारित हो जाने के बाद पूर्व व वर्तमान जजों, अफसरों, सरकारी कर्मचारियों और बाबुओं के खिलाफ पुलिस या अदालत में शिकायत करना आसान नहीं होगा। ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के लिए सरकार की मंजूरी अनिवार्य होगी।
अध्यादेश का हो रहा चौतरफा विरोध
वसुंधरा राजे सरकार के इस अध्यादेश का चौतरफा आलोचना हो रही है। कांग्रेस ने भी इस अध्यादेश के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया है। सोमवार को कांग्रेस ने सदन से वॉक आउट कर दिया।
मौलिक अधिकारों का हनन है बिज
सिविल सोसायटी और कानून विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आध्यादेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ और मनमाना है। इससे संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है। कानून विशेषज्ञों का मानना है कि अध्यादेश के पारित हो जाने के बाद मीडिया और आम आदमी जरूरी सूचनाओं से वंचित हो जाएगा। इस अध्यादेश के जरिए वसुंधरा राजे सरकार भ्रष्ट बाबुओं और नौकरशाहों को बचाने का प्रयास कर रही है।
क्या है अध्यादेश
अध्यादेश के मुताबिक, कोई भी लोकसेवक अपनी ड्यूटी के दौरान लिए गए निर्णय पर जांच के दायरे में नहीं आ सकता है, सिवाय कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर 197 के। वहीं किसी लोकसेवक के खिलाफ कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं करा सकता। इस नए अध्यादेश के मुताबिक ड्यूटी के दौरान किसी जज या किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ कोर्ट के जरिए भी एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते हैं। इसके लिए सरकारी की अनुमति अनिवार्य होगी। हालांकि अगर सरकार इजाजत नहीं देती है तो 180 दिनों के बाद कोर्ट के जरिए एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है।
हाईकोर्ट पहुंची लड़ाई
वकील एके जैन ने राजस्थान हाइकोर्ट में वसुंधरा राजे सरकार के इस नए अध्यादेश को चुनौती दी है।
एडिटर्स गिल्ड ने जताया विरोध
प्रत्यक्ष रूप से ये न्यायपालिका और नौकरशाही को झूठे एफ़आईआर से बचाने के लिए लाया गया, लेकिन ये मीडिया को तंग करने, नौकरशाहों के ग़लत कामों को छुपाने और संविधान द्वारा दी गई प्रेस की आज़ादी पर लगाम लगाने का घातक हथियार है। एडिटर्स गिल्ड चाहता है कि राजस्थान सरकार तुरंत अध्यादेश वापस ले और इसे क़ानून बनाने से परहेज़ करे। हालांकि एडिटर्स गिल्ड ने हमेशा से अदालतों में दायर एफ़आइआर की सही, संतुलित और जि़म्मेदाराना रिपोर्टिंग की वकालत की है।
सोशल मीडिया पर भी प्रतिबंध ?
राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इंदिरा गांधी के आपातकाल जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। राजस्थान सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया जो विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया है। उस विधेयक में भ्रष्ट अधिकारियों मंत्रियों और विधायकों को आरोपों से बचाने के लिए अदालतों के अधिकार पर कटौती की गई है। वहीं आम आदमी को भी इस कानून के दायरे में लाया गया है। सोशल मीडिया में भी यदि कोई आरोप लगाएगा तो उस पर भी कार्यवाही होगी और 2 साल की सजा हो सकती है।
वसुंधरा सरकार ने पेश किया ‘आपातकाल ‘ वाला बिल,हाई कोर्ट में अध्यादेश को चुनौती
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