इंदौर,इंदौर के उद्योगपति कैलाश सहारा और सतना के उद्योगपति पवन अहलूवालिया ने मिल कर दो सीमेंट कंपनियां बनाई थी। इसके लिए सरकार से जमीन भी आवंटित कराई थी। केंद्र सरकार से कोल आवंटन भी प्राप्त किया था। किंतु सीमेंट फैक्ट्री का निर्माण नहीं हुआ। कागजों में हेराफेरी करके कैलाश सहारा ने सैकड़ों करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है। इस मामले की जांच सीबीआई ने भी की थी। मध्यप्रदेश सरकार ने भी इस समूह को सीमेंट कारखाना लगाने के लिए 600 हेक्टेयर भूमि दी थी। किंतु कंपनी द्वारा सरकार और बैंकों को लगातार धोखा देकर वित्तीय हेराफेरी की ।
पनामा पेपर लीक मामले में भी कैलाश सहारा का नाम आया था। पिछले 2 वर्षों में सीबीआई ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले मामले में और मध्य प्रदेश के रुद्र पुरी कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में रेवती सीमेंट लिमिटेड के प्रमोटर उमेश सहारा कैलाश सहारा और चिन्मय पालेकर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इसमें कई अज्ञात लोगों के नाम भी शामिल थे। सीबीआई ने इंदौर और सतना में कई ठिकानों पर छापे भी मारे थे।
अब इस मामले में केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय ने भी कार्यवाही शुरु कर दी है। आयकर विभाग ने रुचि समूह की 32 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर ली है। अन्य संपत्तियों को जप्त करने की कार्यवाही की जा रही है। उल्लेखनीय है कि रुचि सोया एक समय देश का सबसे बड़ा प्रतिष्ठित सोयाबीन संस्थान था। इस कंपनी पर अब 8 हजार करोड़ का कर्ज है। आईडीएफसी के नेतृत्व में बैंकों का समूह कर्ज की वसूली के लिए कंपनी की संपत्ति अटैच करने की कार्यवाही कर रहा है। वहीं आयकर विभाग भी कंपनी की संपत्तियां जप्त करके आयकर की वसूली कर रहा है। वही सीबीआई भी इस मामले में रुचि समूह पर कार्यवाही कर रही है। जिसके कारण रुचि समूह अब कई तरीके की मुश्किलों में फस गया है।