नई दिल्ली,राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) आतंकवादियों की वित्तीय मदद करने और काले धन को सफेद बनाने के आरोपों में विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाईक के खिलाफ इस सप्ताह आरोपपत्र दायर करेगी। अधिकारियों की माने पिछले साल जुलाई में देश छोड़ चुके नाईक के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने की औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। यह इस सप्ताह विशेष अदालत में दायर किया जाएगा। नाईक (५१) इस समय विदेश में है। एनआईए ने उसके खिलाफ आतंकी वित्त पोषण और काले धन को सफेद बनाने के आरोपों में जांच की है। वह १ जुलाई २०१६ को तब भारत छोड़ गया था जब बांग्लादेश में आतंकवादियों ने दावा किया था कि वे नाईक के भाषणों से प्रभावित थे। एनआईए ने १८ नवंबर २०१६ को अपनी मुंबई शाखा में नाईक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। उसके मुंबई आधारित गैर सरकारी संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को केंद्रीय गृह मंत्रालय पहले ही गैर कानूनी संगठन घोषित किया है। नाईक ने सऊदी अरब की नागरिकता हासिल की है, लेकिन अब तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है। नाईक पर अपने भड़काऊ भाषणों से नफरत फैलाने, आतंकवादियों की वित्तीय मदद करने और करोड़ों रुपये के काले धन को सफेद करने के आरोप हैं। चिकित्सक से कथित उपदेशक बना नाईक विदेश से भारतीय मीडिया से अपनी बातचीत में बार-बार आरोपों से इनकार करता रहा है। एनआईए की १ साल की जांच के बाद नाईक के खिलाफ इंटरपोल से संपर्क किया था। जांच के दौरान इस बारे में सबूत जुटाए गए कि उसके आईआरएफ और पीस टीवी को विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच कथित तौर पर नफरत बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने उसके गैर सरकारी संगठन को प्रतिबंधित करने के साथ ही उसके टीवी चैनल को भी प्रतिबंधित कर दिया था। विदेश मंत्रालय ने एनआईए के आग्रह पर नाईक का पासपोर्ट भी इस साल के शुरू में निरस्त कर दिया था। नाईक तब सुरक्षा एजेंसियों की नजरों में आ गया था जब पिछले साल जुलाई में ढाका में एक कैफे पर हुए हमले में कथित तौर पर शामिल कुछ आतंकवादियों ने दावा किया था कि वे विवादास्पद उपदेशक जाकिर नाईक के भाषणों से प्रेरित थे।