नई दिल्ली, ”मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ता हमारा। सालों पहले उर्दू के प्रसिद्ध शायर इकबाल ने यह लाइनें लिखी थीं। लेकिन आज तक धर्मों के नाम पर बटवारा जारी है। ताजा मामला वाराणसी का है। यहां पर कुछ मुस्लिम बहनों ने दीपावली मनाई और भगवान राम की आरती की। हुकुलगंज की वरुणानगरम् कॉलोनी में नाजनीन की अगुवाई में महिलाओं के समूह ने आरती की थाल के साथ भगवान राम की उतारी और हनुमान चालीसा का पाठ किया। इस कार्यक्रम का आयोजन मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान की ओर सामाजिक सौहार्द का संदेश देने के लिए किया गया था। यह खबर मिलते हैं संस्था दारूल उलूम ने अजीबोगरीब बयान दिया है। उलेमा ने कहा कि अल्लाह के सिवा किसी और की पूजा अर्चना करने वाले मुस्लिम नहीं हो सकते। गौर हो कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 18 अक्टूबर को अयोध्या में दीवाली उत्सव का आयोजन किया था, इसी दिन मुस्लिम महिलाओं के एक समूह ने वाराणसी में भगवान राम की पूजा और आरती की थी। वहीं, आरती करने वाली मुस्लिम महिलाओं के समूह की नेता नाजनीन अंसारी ने कहा कि अयोध्या है हमारी जियारतगाह का नाम, रहते हैं वहां इमाम ए हिंद श्रीराम।
एकता-भाईचारा बढ़ाने का प्रयास
हिंदू-मुस्लिम सांस्कृतिक भाईचारे में यकीन करने वाली नाजनीन ने कहा कि ऐसे त्यौहार से सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है। श्रीराम हमारे पूर्वज हैं। हम अपना नाम और धर्म बदल सकते हैं, लेकिन हम अपने पूर्वजों को कैसे बदल सकते हैं। उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि भगवान राम की गाथा गाना गाने से न केवल हिंदुओं और मुसलमानों के बीच प्रेम और सद्भाव बढ़ता है, बल्कि यह इस्लाम की उदारता भी दिखाता है।