जयपुर, सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के लगातार ट्रेप होने की घटनाओं से सरकारी महकमो में काम में आ रही अड़चनो को देखते हुए शायद राज्य सरकार ने तोड में यह कानून निकाला है कि छह महीने से अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होगी कहा गया है कि किसी भी अधिकारी के खिलाफ बिना अभियोजन स्वीकृति के ना तो एफआईआर दर्ज की जा सकेगी ना ही उस व्यक्ति की पहचान किसी भी तरह जारी की जा सकेगी अगर किया तो उनके खिलाफ कार्यवाही हो सकती है और दो साल की जेल भी।
हालांकि, अभी विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है ओर ये कानून केंद्र सरकार का है। ऐसे में राजस्थान सरकार ने इसके लिए राष्ट्रपति से राजस्थान क्रिमिनल लॉ एमेंडमेंट ऑर्डिनेंस 2017 पास करवा लिया है। जिसके बाद से ये प्रावधान प्रदेश में तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। इस क्रिमीनील लॉ अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस में साफ तौर पर लिखा गया है कि कोई भी जज किसी जज या मजिस्ट्रेट या सरकारी अधिकारी के खिलाफ कोई इंवेस्टिगेशन नहीं कर सकेगा। अमेंडमेंट के अनुसार किसी भी अधिकारियों की पहचान भी उजागर नहीं की जा सकेगी। अगर कोई ऐसा करता है तो ऐसे में उस व्यक्ति को दो साल तक जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। अगर 6 महीने में ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृती नहीं मिल पाती है तो ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। परनामी ने कहा जीरो टॉलरेंस की नीति पर हो रहा काम मतलब साफ है कि अब ऐसे किसी सरकारी अधिकारी का नाम पता उजागर नहीं किया जा सकेगा जिसके खिलाफ किसी एजेंसी ने कोई कार्रवाई की हो। ना ही उसके खिलाफ कोई् नई जांच शुरू की जा सकेगी। 6 माह मे अभियोजन स्वीकृती के बाद ही ऐसा किया जा सकेगा। वहीं, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी इस पर भी यही कहते दिखार्द दे रहे हैं कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरों टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है।