नई दिल्ली,देश के राजनीतिक दलों की दौलत तेजी से बढ़ रही है। पिछले 10 साल में राष्ट्रीय दलों की संपत्ति पांच गुना से ज्यादा बढ़ गई है। इलेक्शन वॉच की ताजा रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। यह संस्था राजनीतिक दलों पर नजर रखती है। यह चिंताजनक इसलिए है क्योंकि चुनावी खर्च पर काबू पाने की बहसों छिड़ी हुई है। सबसे ज्यादा कमाई वाली पार्टी भाजपा है। पार्टी की संपत्ति इस दौरान 625 फीसदी से अधिक बढ़ी है। बीते 10 सालों में सात बड़े राष्ट्रीय दलों की कुल संपत्ति 530 फीसदी बढ़ गई है। 2004-05 में इन दलों की औसत संपत्ति 61.62 करोड़ थी, जो 2015-16 में 388.45 करोड़ रुपये हो गई। सबसे ज्यादा इजाफा बीजेपी की संपत्ति में हुआ। 2004-05 में बीजेपी के पास 122.93 करोड़ रुपये थे, जो 2015-16 में 893.88 करोड़ हो गए यानी 627.15 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। इस दौरान कांग्रेस की संपत्ति भी 167.35 करोड़ से बढ़कर 758.79 करोड़ तक पहुंच गई यानी करीब 353 फीसदी बढ़ोतरी। इलेक्शन वॉच का कहना है कि राजनीतिक दलों की संपत्ति का हिसाब रखने का भी पूरा इंतजाम हो। उसकी सिफारिश है कि हर तीन साल में राजनीतिक दलों के ऑडिटर बदले जाएं, क्योंकि एक पार्टी से किसी एक ऑडिटर का लंबे समय तक जुड़े रहना ठीक नहीं है। सीएजी की तरफ से तय अकाउंटेट से ही ऑडिटिंग कराई जाए। यही नहीं, हर राजनीतिक दल हर साल ऑडिटिंग कराए।
सरकार पर बड़े सवाल
ये मामला सिर्फ राजनीतिक दलों की कमाई का नहीं, हमारे लोकतंत्र में पैसे की बढ़ती हैसियत का भी मामला है, इसलिए लोकतंत्र को धनतंत्र में बदलने से रोकने के लिए ये बेहद जरूरी है कि इलेक्शन वॉच की इस रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों पर गंभीरता से अमल किया जाए।