लखनऊ,उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित कर दी है। हैरानी की बात यह है कि इसमें न तो उनके पिता मुलायम सिंह यादव का नाम है और न ही चाचा शिवपाल यादव का, लेकिन अखिलेश के दूसरे चाचा रामगोपाल यादव का प्रमोशन हो गया है। रामगोपाल यादव पार्टी के प्रधान महासचिव बना दिए गए हैं। इससे पहले वह समाजवादी पार्टी के महासचिव हुआ करते थे। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उन्हें प्रोफेसर साहब कहते हैं। 1992 में समाजवादी पार्टी बनाने वाले मुलायम सिंह यादव अब पार्टी के संरक्षक भर रह गए हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या मुलायम राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में शामिल हो सकते हैं? इसके जवाब में पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, इस तरह की तकनीकि बातें मुझे नहीं पता, जो लिस्ट आपके पास है, वही हमारे पास भी है। उधर, एक समय ताकतवर नेता रहे शिवपाल यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव से अनबन के बाद पार्टी में किनारे कर दिए गए हैं। उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह तक नहीं मिली, जबकि पश्चिम बंगाल के रहने वाले किरणमय नंदा को फिर उपाध्यक्ष बनाया गया है। आज़म खान और नरेश अग्रवाल समेत दस नेता महासचिव बन गए हैं। मायावती की पार्टी बीएसपी छोड़ कर आये इंद्रजीत सरोज को भी महासचिव बनाया गया है। यूपी के बड़े बिल्डर और राज्यसभा सांसद संजय सेठ को फिर से कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जया बच्चन का भी नाम शामिल है, उन्हें भी सदस्य बनाया गया है। कार्यकारिणी में 55 सदस्य हैं। इनमे छह विशेष तौर पर आमंत्रित सदस्य हैं। अखिलेश के चचेरे भाई और सांसद धर्मेंद्र यादव को लिस्ट में जगह नहीं मिली, जबकि रामगोपाल यादव ने अपने सांसद बेटे अक्षय यादव को कार्यकारिणी का सदस्य बना दिया है।