ग्वालियर,पड़ाव थाने में ग्यारह साल पहले बलवा कर पुलिस कर्मियों को बंधक बनाते हुए तोड़फोड़ के बाद लाकअप में बंद आरोपियो को छुडाकर ले जाने की इस सनसनीखेज घटना में आरोपी इसलिए रिहा हो गये हैं क्योंकि फरियादी पुलिस कर्मी आरोपियों की पहचान ही नहीं कर सकी। पूरी घटना में जानकारी के मुताबिक 10 जून 2006 को पड़ाव थाना पुलिस ने एक मामले में आरोपी प्रीतम लोधी को गिरफ्तार किया था। आरोपी को छुड़ाने करीब दो ढाई हजार लोग ट्रेक्टर-ट्राली में भरकर थाने के सामने जा पहुंचे और थाने के सामने ही चक्काजाम कर दिया। भीड़ में कई लोग भड़काऊ भाषण देते हुए थाने में आग लगाने की बात भी कर रहे थे। इस समय थाने में आधा दर्जन पुलिस कर्मी मौजूद थे। जिन्होंने तुरंत कंट्रोल रूम में मैसेज कर मदद मांगी। लेकिन फोर्स के वहां पहुंचने से पहले आक्रोशित भीड़ ने थाने पर हमला कर दिया और यहां मौजूद पुलिस कर्मियों को बंधक बनाते हुए थाने में जमकर तोड़फोड़ की और छुड़ाकर अपने साथ ले गये। बाद में मौके पर पहुंचे आला अफसरों की मौजूदगी में भी थाने के सामने उग्र प्रदर्शन जारी रहा। इस घटना में निरीक्षक हरीओम मिश्रा द्वारा 10 जून को प्रीतम लोधी के बेटे दिनेश लोधी सहित वीरेंद्र लोधी, भारत लोधी, गुरुमुख सिंह, तेजपाल सिंह, बंटी सहित करीब आधा दर्जन भर आरोपियों के खिलाफ शासकीय कार्य में बांधा डालने सहित अन्य धाराओं के तहत नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गौरतलब है कि घटना के समय और तुरंत बाद मौके पर कई पुलिस कर्मियों सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। लेकिन अभियोजन आरोपियों की घटना स्थल पर उपस्थिति तथा उनकी पहचान में संदेह से परे साबितकरने में नाकाम रहा और आरोपी दोषमुक्त हो गये। हालांकि इस मामले में तीन आरोपी अभी भी फरार हैं। और अन्य आरोपियों को कोर्ट द्वारा दोषमुक्त कर दिया गया। पूरी घटना को लेकर यह सवाल भी जन्म ले रहा है कि थाने के भीतर पुलिस को बंधक बनाकर उसकी आंखों के सामने ही तोड़फोड़ कर बलवा करने वाले आरोपी जिनकी शिकायत भी फरियादी और गवाह बनकर पुलिस ने ही कराईथी वे ही कोर्ट में बेगुनाह साबित होकर बरी हो जाये तो आम आदमी पुलिस से न्याय पाने की क्या उम्मीद लगा सकता है।
ग्यारह साल पहले थाने पर हमला, तोड़फोड़ कर आरोपियों को छुड़ाने वाले दोषमुक्त
