बुरहानपुर, मप्र में बुनकरों को सहकारिता आंदोलन से जोडने के लिए पावरलूम बुनकर सहकारी समितियां बनाई गई समितियों में शामिल बुनकर सदस्यों द्वारा पावरलूम पर तैयार किया जाने वाले कपडे को सहकारिता के क्षेत्र में मार्केंटिंग प्लेटफार्म देने के मकसद से मप्र राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संस्था की स्थापना खंडवा संसदीय क्षेत्र के सांसद पंडित गंगा चरण दिक्षित ने प्रदेश के बुनकारों को संगठित करने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के उददेश से मार्च 1973 में इस की स्थापना की गई, शुरू शुरू में तो यह संस्था अपने उदेश्य में काम करने में कामयाब रही लेकिन बाद में यह संस्था भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई, प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बाद इस पर बीजेपी समर्थित नेताओं का कब्जा हुआ शुरू के पांच साल बीजेपी के नेता भी इस संस्था में कुछ खास नहीं कर पाए लेकिन बाद में संघ में सत्ता परिर्वतन होने से सुधार आया। बुरहानपुर समेत प्रदेश के 5 हजार से अधिक पावरलूम बुनकर परिवारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंदी के बाद जीएसटी से उपजे मंदी के हालात से उबारने के लिए मप्र पावरलूम बुनकर सहकारी संस्था ने दशहरे पर प्रदेश के बुनकरो को तोहफा देने का प्रयास किया है, संस्था ने पावरलूम बुनकर सहकारी समितियों के माध्यम से बुनकरों द्वारा पावरलूम पर तैयार किया जाने वाला कच्चा कपडा खरीदकर इसे देश विदेश में एक्सपोर्ट करने का निर्णय लिया है। लेकिन इस में आम बुनकरों को शामिल करने से यह फैसला हजारों बुनकरों के लिए संजीवनी साबित होगा, इस प्रकार की बात अब सामने आ रही है। निर्वाचित संचालक मंडल ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय का अंत्योदय वाला मॉडल गरीब बुनकरों पर प्रयोग करने का फैसला लिया है, इस फैसले के चलते बुनकरों से सहकारी सोसायटियों के माध्यम से पावरलूम पर तैयार होने वाला कच्चा कपडा खरीदकर इसे देश विदेश में एक्सपोर्ट करने का निर्णय लिया है पावरलूम फेडरेशन का दावा है इससे बुरहानपुर समेत प्रदेश के अन्य पावरलूम सेंटर के करीब 5 हजार से अधिक बुनकर परिवार लाभान्वित होंगे कांग्रेस से जुडे बुनकर नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है उनका कहना है मंदी और जीएसटी से जुझ रहे हालात के बीच अगर इस फैसले पर ईमानदारी से अमल किया जाता है तो बुनकरों के लिए यह निर्णय रामबाण साबित होगा, शहर के आम बुनकरों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है लेकिन उनका कहना है इसका लाभ उन्ही बुनकरों को मिलेगा जो पावरलूम बुनकर सहकारी संस्था से जुडे है उन्होने फेडरेशन और सरकार से मांग कि है कि इस फैसले के दायरे में गरीब बुनकर जो अब तक सहकारिता आंदोलने के माध्यम से नहीं जुडा है उसके द्वारा भी तैयार कपडा खरीदा जाए, गौरतलब है बीते दस साल पहले तक पावरलूम बुनकर फेडरेशन अपनी बुनकर सहकारी समितियों से पावरलूम पर तैयार कच्चा कपडा खरीद कर इसे एक्सपोर्ट करता था लेकिन भ्रष्टाचार और तथाकथित टेक्सटाईल उद्योगपतियों के कारण इस व्य़वस्था पर प्रतिबंध लगा दिया गया था अब संस्था दोबारा पावरलूम से तैयार कच्चा कपडा खरीदने की बात कह रही है जिस का नगर के गरीब बुनकरेां को इंतेजार रहेगा।
पावरलूम व्यवसाय को बचाने बुनकरों से खरीदा जायेगा कच्चा माल
