पुणे ,पुलिस की तत्परता से पुणे में न सिर्फ सात साल के एक मासूम की जान बच गई, बल्कि उसके दोनों अपहरणकर्ता भी सलाखों के पीछे पहुंच गए। पुणे के चार सौ पुलिसवालों ने 70 घंटे के भीतर अपहरण की पूरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया। यही वजह है कि खुद पुणे पुलिस आयुक्त रश्मि शुक्ला ने न सिर्फ पूरी टीम का स्वागत किया, बल्कि केक काटकर बच्चे के साथ खुशी भी मनाई। अपहरणकर्ताओं के चंगुल से सकुशल बचकर आए उस मासूम बालक को खुद अपने हाथों से उन्होंने केक खिलाया। निगडी में रहने वाले सात साल के मासूम ओम खरात को 23 सितंबर को उसके घर के सामने से अगवा कर लिया गया था। शिकायत मिलते ही अपहरण का मामला दर्ज कर रात भर उसकी तलाश की गई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। दूसरे दिन सुबह ओम के पिता को फोन कर 60 लाख की फिरौती मांगी गई।
पुणे की पुलिस आयुक्त रश्मी शुक्ला ने बताया कि ओम की तलाश में चार सौ पुलिस वालों को लगाया था। खुद अतिरिक्त पुलिस आयुक्त इसकी निगरानी कर रहे थे। जहां भी सूचना मिल रही थी, वहां दबिश डाली जा रही थी। मीडिया से खबर ना छापने का निवेदन किया गया था, क्योंकि बच्चे की जान को खतरा हो सकता था। बच्चे के पिता को भी भरोसे में लिया गया था। फिरौती के लिए आये फ़ोन नंबर के जरिये अपहरण करने वालों की लोकेशन का पता चल रहा था, लेकिन वे बार-बार अपनी लोकेशन बदल रहे थे। पुलिस के डर से पैसा लेने की जगह भी बदली। आखिरकार इतना दबाव बना कि उन्होंने खुद ही बच्चे को छोड़ दिया। बच्चा सकुशल हाथ में आते ही पुलिस ने तेजी दिखाते हुए सघन तलाशी अभियान चलाया और चार दिन की मशक्कत के बाद आखिरकार दो आरोपियों रोशन शिंदे और अक्षय जामदारे को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि आरोपी अक्षय छह महीने पहले बच्चे के पिता के यहां काम कर चुका था। उसी ने रोशन शिंदे के साथ मिलकर अपहरण की साजिश रची, जिसे एक जौहरी से लिया हुआ कर्ज चुकाना था। दोनों ने इसके लिए अपने एक दोस्त की कार ली। उसका नबंर प्लेट बदला। एक सिम कार्ड चुराया और फिर वारदात को अंजाम दिया। सात साल के ओम को वो कार की डिक्की में ही डालकर पुणे से लेकर बीड तक घूम रहे थे।