खुले में शौच करते सरपंच रंगे हाथ गिरफ्तार, उप सरपंच फरार

शहडोल/भोपाल, एक ओर सरकार देश को खुले में शौच मुक्त बनाने दिन-रात अभियान चला रही हैं, वहीं दूसरी ओर लोग हैं कि अपनी जिम्मेदारी समझ ही नहीं रहे। आम नागरिकों की तो छोडि़ए ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि भी सरकार की पहल पर पानी फेर रहे हैं। इस बात से परेशान प्रशासन को नए-नए हठकंडे अपनाने पड़ रहे हैं। ताजा मामला मध्य प्रदेश में शहडोल जिले के ब्यौहारी का है। पुलिस ने दो सरपंचों को पकड़ा है। दोनों सरपंचों ने अपने घर में शौचालय नहीं बनवाया है। इसमें एक महिला सरपंच के अलावा उपसरपंच और शिक्षक भी शामिल हैं। वे अब भी खुले में शौच जाते थे। इसमें बरहाटोला के सरपंच सतीश कोल और चरखरी निवासी महिला सरपंच भी शामिल है। दोनों सरपंच जैसे ही खुले में शौच के लिए निकले तो टीम ने सरपंचों को रोककर कार्रवाई की। सरपंच रमेश ने 30 सितंबर के भीतर घर में शौचालय निर्माण की बात कही। इसके बाद प्रशासन ने अल्टीमेटम देकर छोड़ दिया। इसी तरह जिला समन्यवयक अर्चना गुर्जर द्वारा औचक निरीक्षण पर ग्राम पंचायत सतीश कोल खुले में शौच करने और उपसरपंच के घर ही शौचालय विहीन पाया गया। भनक लगते ही उपसरपंच मौके से परिवार समेत भाग निकला था। इसी प्रकार ग्राम चरखरी के सरपंच बुइंडी बाई कोल का घर भी शौचालयविहीन होने के साथ कई हितग्राहियों के यहां सुविधाघर नहीं मिले।
शिक्षक भी नहीं बनवा रहा शौचालय
खरपा के शिक्षक रामतेज सिंह एवं चरखरी के शिक्षक सन्तोष सिंह भी मौके में खुले में शौच करते पाए गए।
इन अफसरों की टीम कर रही कार्रवाई
खुले में शौच करने वालों को रंगे हाथ पकडऩे वाले अफसरों में जनपद पंचायत सीईओ प्रेरणा परमहंस, जांच अधिकारी जिला समन्यवयक स्वच्छ भारत मिशन अर्चना गुर्जर बाबा खान प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी लवकुश चौहान, टीआई सुदीप सोनी शामिल हैं।
जनप्रतिनिधि भी बोल रहे झूठ
प्रशासन का कहना है कि गांव की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सरपंच, सचिव सहित कई जनप्रतिनिधियों ने शौचालय होने की झूठी जानकारी दी है। इन लोगों द्वारा शौचालय का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। इसलिए पुलिस की मदद से इन्हें समझाया जा रहा है।
इनका कहना है
खुले में शौच जाना बहुत बुरी आदत है। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा खुले में शौच मुक्त अभियान संचालित किया गया है। प्रशासन ने पुलिस से मदद मांगी थी इसलिए हमने खुले में शौच करने वालों को पकड़ा। पकड़े गए सरपंच व अन्य लोगों को प्रशासनिक अफसरों के साथ थाने में लाया गया, जहां पर उन्हें समझाइश देकर छोड़ दिगा गया। किसी पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है।
-कंचन सिंह, सहायक पुलिस उप निरीक्षक

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