अहमदाबाद, गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने के हार्दिक पटेल के खुले संकेतों को बड़ी सियासी कामयाबी मान रही पार्टी ने अब सूबे के ओबीसी और दलित समाज के नेताओं को भी साथ लाने की पहल तेज कर दी है। गुजरात चुनाव से जुड़े कांग्रेस के रणनीतिकारों की टीम अब ओबीसी समुदाय के युवा नेता अल्पेश ठाकुर और सूबे में दलित नेतृत्व के नए चेहरे के रूप में सामने आए जिग्नेश मेवानी से संवाद कर रही है। इस तरह गुजरात चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस इस बार सूबे के सामाजिक समीकरणों को दुरुस्त करने में बड़ा दांव लगाने की तैयारी कर रही है। बता दें कि कांग्रेस दो दशक से गुजरात की सत्ता से बाहर है। पटेल समुदाय जाहिर तौर पर गुजरात में भाजपा की बड़ी ताकत रहा है, पर अब हार्दिक के सहारे कांग्रेस इस प्रभावशाली समुदाय के अपने साथ आने की उम्मीद कर रही है। पार्टी के रणनीतिकारों ने राहुल के दौरे से पहले हार्दिक से उनकी यात्रा का स्वागत कराने की घोषणा के लिए पर्दे के पीछे काफी मेहनत की थी। गुजरात के प्रभारी पार्टी महासचिव अशोक गहलोत और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के अलावा राज्य के वरिष्ठ नेता हार्दिक समेत अन्य समुदायों के प्रभावशाली नेताओं का समर्थन जुटाने की कोशिश में लगे हैं। सूबे में ओबीसी के हितों की मुखर रूप से आवाज बुलंद कर रहे अल्पेश इस समय चतुर सियासी दांव खेल रहे हैं। सत्तारुढ़ भाजपा पर दबाव बनाने के लिए वे कांग्रेस के साथ रिश्तों का दरवाजा खोले रखने का संकेत दे रहे। बहरहाल, अल्पेश नौ अक्टूबर को अपने कार्यक्रम में गुजरात चुनाव की अपनी राजनीतिक दिशा पर तस्वीर साफ करेंगे। हार्दिक के रुख के बाद अल्पेश पर भी कहीं न कहीं सत्ता विरोधी खेमे में आने का दबाव है। हालांकि कांग्रेस के रणनीतिकार अल्पेश के साथ आने को लेकर अभी पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं। मगर पार्टी दलित समुदाय के सबसे ताकतवर चेहरे के रूप में उभरे जिग्नेश मेवानी को लेकर काफी सकारात्मक है। पार्टी नेताओं का मानना है कि ऊना में दलित उत्पीड़न की घटनाओं के बाद जिग्नेश ने जिस तरह राज्य सरकार और भाजपा की सियासत के खिलाफ आवाज बुलंद की है, उसे देखते हुए कांग्रेस का समर्थन करना ही उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है। राहुल गांधी अगले 15 अक्टूबर तक चार चरणों में गुजरात के चारों क्षेत्रों की यात्रा पूरी करेंगे। तस्वीर उसके बाद ही साफ होगी।