हैवानियत की हद पार करता है पाकिस्तान, किस मुंह से इंसानियत की बात करता है-सुषमा

संयुक्त राष्ट्र,भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार रात पिछली बार की तरह ही, इस बार भी संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा में पाकिस्तान को बुरी तरह लताड़ा। सुषमा ने हिन्दी में ही भाषण दिया। सुषमा ने 22 मिनट के भाषण में 10 मिनट आतंकवाद पर बात की। भाषण में छह मिनट तक पाकिस्तान का नाम लेकर ना पाक पड़ोंसी को जमकर खरी-खरी सुनाई। जब सुषमा पाकिस्तान पर जुबानी हमला बोल रही थीं तब सभा में वहां के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी भी मौजूद थे। स्वराज ने कहा- जब पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम खाकान अब्बासी यहां हम पर इल्जाम लगा रहे थे तो लोग कह रहे थे कि लुक हू इज टॉकिंग…। सुषमा ने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन पाकिस्तान बताए कि किसने दोस्ती की कहानी बदरंग की? भारत-पाक एकसाथ आजाद हुए थे। भारत की पहचान आज दुनिया में आईटी सुपरपावर के रूप में बनी। लेकिन पाक की पहचान दहशतगर्द मुल्क की बनी है। भारत ने आईआईटी, आईआईएम बनाए। लेकिन आपने क्या बनाया? पाकिस्तान वालों ने लश्कर-ए-तैयबा बनाया, जैश-ए-मोहम्मद बनाया, हिज्बुल-मुजाहिदीन बनाया।
पाकिस्तान ने भारत पर लगाए थे आरोप
गुरुवार को इसी मंच से बोलते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने भारत पर कई आरोप मढ़े थे। उन्होंने भारत पर संगठित आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया था।
याद दिलाई गांधी की महानता
सुषमा ने कहा- मैं याद दिलाना चाहती हूं कि जिन्ना ने दोस्ती की विरासत दी या नहीं दी, ये तो इतिहास जानता है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाया। लेकिन कहानी बदरंग किसने की, ये आप बताएं। क्या पाक को याद नहीं कि शिमला समझौते के तहत दोनों देशों ने तय किया था हम किसी तीसरे का दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे। पाकिस्तान के सियासतदानों को याद तो सबकुछ है, लेकिन वे उसे भूल जाने का नाटक करते हैं।
भारत-पाक एक साथ आजाद हुए, लेकिन पाकिस्तान बहुत पीछे
सुषमा ने कहा, भारत-पाक एकसाथ आजाद हुए थे, लेकिन अब्बासी साहब! (पाकिस्तानी प्रधानमंत्री), क्या आपने सोचा कि भारत की पहचान आज दुनिया में आईटी सुपरपावर के रूप में बनी, लेकिन पाक की पहचान दहशतगर्द मुल्क की बनी है। इसकी एक ही वजह है कि भारत ने पाक की आतंकवाद की चुनौतियों का सामना करते हुए भी अंदरूनी विकास की गति नहीं रोकी।
क्या बोलीं विदेश मंत्री
-जितना पैसा आतंकवाद पालने में खर्च करते हो, उतना अपने देश की आवाम के लिए करते तो उसका भला होता
-हमने डॉक्टर पैदा किए, हमने इंजीनियर पैदा किये, पाकिस्तान वालों आपने क्या पैदा किया
-हम तो गरीबी से लड़ रहे हैं। लेकिन हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है।
– हमने आईआईटी, आईआईएम बनाए, आपने लश्कर-जैश बनाया
– आतंकियों की मदद की बजाय मुल्क का विकास करो
– पश्चिमी देशों को भी चेताया- आतंकवाद को अलग-अलग नजरिए से देखना बंद करें
-1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित सीसीआईटी पर आज तक यूएन सहमत नहीं हो पाया। आतंकवाद की परिभाषा पर एकराय नहीं बन पाई। मेरे और तेरे आतंकवादी की दृष्टि अलग हो जाएगी तो मिलकर कैसे लड़ेंगे।
-भारत ने जनधन के तहत 30 करोड़ लोगों को बैंक तक लाए, इतनी तो अमेरिका की जनसंख्या है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *