सदगुरू जग्गी वासुदेव का शानदार स्वागत,शिवराज की गौशाला देखी,पत्नी साधना ने परोसा खाना

भोपाल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह ने सदगुरू जग्गी वासुदेव की नदी अभियान रैली के भोपाल पहुंचने पर बैरागढ में सीहोर नाके के पास यात्रा स्वागत किया। सदगुरू स्वयं रैली का नेतृत्व कर रह थे। सदगुरू रैली फार रिवर में स्वयं गाड़ी चलाते हुए बैरागढ से मुख्यमंत्री निवास तक आये। मुख्यमंत्री और उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह चौहान सदगुरू के साथ रैली में शामिल हुए।
बाद में मुख्यमंत्री निवास पर चौहान ने सदगुरू का स्वागत किया। सदगुरू के आग्रह पर चौहान ने उन्हें गौशाला का भ्रमण कराया। सदगुरू ने मुख्यमंत्री की इस पहल की सराहना की। श्रीमती साधना सिंह चौहान ने गौशाला प्रबंधन के बारे में जानकारी दी और स्थापना का इतिहास बताया।
चौहान ने कहा है कि नदी बचाओ अभियान की शुरूआत देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश की जनता ने की थी। प्रदेश में नर्मदा सेवा यात्रा पाँच माह और पाँच दिन तक आयोजित की गयी।

प्रदेश की हर नदी को बचाने का अभियान जनता के सहयोग से चलाया जायेगा। मुख्यमंत्री नदी अभियान के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति में नदियों को माँ माना गया है। दुनिया की सारी सभ्यताएं नदियों के तटों पर विकसित हुई है। भौतिक प्रगति की चाह में हमने जिंदगी देने वाली नदियों को सूखा दिया है। देश की नदियों की स्थिति अच्छी नही हैं। नदियों के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।
सदगुरू जग्गी वासुदेव ने युवाओं से आव्हान किया है कि प्रत्येक राज्य से सौ समर्पित युवा अगले तीन सालों के लिये नदियों के बचाने के अभियान के लिये स्वयं को समर्पित करें। यह न सोचे कि मेरा क्या होगा। उन्होने कहा कि उनमें बडा परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि समर्पित युवा सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर नदियों को बचाने का काम करेंगे। उन्होने कहा कि नदियों को बचाने के इस अभियान का नेतृत्व वे स्वयं करेंगे। उन्होंने युवाओं का आव्हान किया कि वे अपने अपने राज्यों में पैदल, सायकल, मोटर सायकल से नदियों के लिये रैली निकालें।
सदगुरू ने 35 साल पहले हुई अलौकिक अनुभूति की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि यदि नदियों को बचाने का काम अभी शुरू नहीं किया गया तो कई दशकों की मेहनत ज्यादा लगेगी। उन्होने कहा कि मिटटी और पानी का कम होना सबसे खतरनाक है। उन्होने कहा कि नदी बचाने का अभियान अब राष्ट्रीय अभियान बन चुका है। इसे बच्चों, मीडिया और सैन्य बलों का समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत प्रयासों से केवल आत्मसंतुष्टि मिलेगी लेकिन समाधान नही। इसलिये पर्यावरण की सुरक्षा, मिटटी और पानी की सुरक्षा करना जरूरी है। उन्होने कहा कि पहली बार भारत में ऐसा हो रहा है कि नदियों के संरक्षण के अभियान को सभी राज्यों का पूरा पूरा समर्थन मिल रहा है। सभी राजनैतिक दलों का समर्थन मिल रहा है। अब सरकारों के साथ साथ लोगों को भी इस काम के लिये एक जुट होना पडेगा।

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