बैतूल जिला अस्पताल में महीनों से बिगड़ी पड़ी है मशीने

बैतूल, जिला अस्पताल में मरीजों का उपचार किस तरह किया जा रहा है इसका अस्पताल की 30 महत्वपूर्ण मशीनों के खराब होने से ही लगाया जा सकता है। चाहे ऑपरेशन थियेटर हो या डेंटल केयर यूनिट या फिर पेथालॉजी अस्पताल में प्रत्येक यूनिट की एक न एक मशीन खराब होने से मरीजों के उपचार में दिक्कतें हो रही है। हाल ही में मप्र शासन द्वारा अस्पतालों में मशीनें अधिक दिनों तक मशीनें या उपकरण बिगड़े न रहे और मरीजों के उपचार में किसी भी तरह की असुविधा न हो इस लिहाज से प्रदेश स्तर पर एक निजी कंपनी को मशीनें सुधारने का ठेका दिया है लेकिन जिले में तीन-तीन महीनें से बिगड़ी मशीनों की सेहत नहीं सुधर पा रही है। कंपनी द्वारा भी मशीनों के बिगडऩे की शिकायत मिलने पर अप्रशिक्षित कर्मचारियों को मशीने सुधारने भेजा जा रहा है जिससे मशीनों का सुधार नहीं हो पा रहा है।
अभी तक नहीं सुधरी मशीने
जिला अस्पताल में बीते तीन महीनों में सोनोग्राफी, सीआर मशीन, सेन्ट्रल सेक्शन की मशीने, डेंटल केयर, बायोकेमिस्ट एनालाईजर, सीआर मशीने, ब्लड बैंक एवं एसएनसीयू सहित अस्पताल की कुल 30 मशीने बिगड़ी हुई है। इस मशीनों के बिगड़े होने पर सुधारने के लिए हाल ही में बनाई गई व्यवस्था के तहत सीएमएचओ डॉ प्रदीप मौजेस के निर्देश पर जिला अस्पताल में मशीनों पर बारकोडिंग एवं कंपनी को सूचित करने की जिम्मेदारी आरएमओ, रेडियोलाजिस्ट एवं पेथालाजिस्ट को सौंपी गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन कर्मचारियों को मशीनों की जिम्मेदारी सौंपी गई है उन्हें हर मशीन पर बारकोड रजिस्टर में संधारित कर टोल फ्री नंबर 18001026239 एवं 0755-4915063 पर शिकायत दर्ज कराई जाना है जहां से शिकायत नंबर प्राप्त होगा। संधारित रजिस्टर में संबंधित मशीन की शिकायत एवं शिकायत करने का समय भी स्वास्थ्य संस्थाओं में दर्ज किया जाना है। उपकरणों में सुधार न होने पर एजेंसी एम हेल्थ केयर के ईमेल आईडी पर मेल किया जा सकता है एवं 4-5 दिन के बाद भी उपकरण न सुधरने पर स्वास्थ्य विभाग की ईमेल आईडी पर शिकायत दर्ज की जा सकती है। एजेंसी द्वारा 48 घन्टे के भीतर मशीन सुधारने का प्रावधान है 48 घन्टे के बाद विभाग द्वारा पेनाल्टी (आर्थिक दण्ड) लगाने का प्रावधान है। अब सवाल यह है कि अस्पताल में 30 मशीने महीनों से बिगड़ी है जिनकी शिकायत भी टोल फ्री नंबर पर की जा चुकी है बावजूद इसके सुधार नहीं हो पा रहा। सूत्रों की माने तो कंपनी द्वारा जिन कर्मचारियों को मशीनें सुधारने के लिए भेजा जाता है उन्हें ही मशीनों की तकनीकि जानकारी नहीं है।
पार्ट वापस आने में लगते महीनों
मप्र शासन द्वारा प्रदेश लेवल पर मशीन सुधारने के लिए एक कंपनी नियुक्त कर दी गई है इससे जिला अस्पताल की मशीनों के बिगडऩे पर महज शिकायत ही की जा सकती है जबकि इसके पूर्व जिला अस्पताल में प्रभारी द्वारा जिन कंपनियों की मशीनें है उनसे सम्पर्क किया जाता था। कंपनी अपने एक्सपर्ट कर्मचारियों को मशीनों को सुधारने के लिए भेज देती थी जिसके कारण मशीने दो से चार दिनों में सुधर जाती थी। वर्तमान में कंपनी कर्मचारियों को भेजती है उन्हें ही मशीनों की पूरी जानकारी नहीं होती। यदि मशीन का कोई पार्ट खराब होता है तो कर्मचारी पार्ट निकालकर ले जाते है। पार्ट वापस आने में भी महीनों का समय लग रहा है। ऐसी स्थिति में अस्पताल में मरीजों को मशीनों का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इनका कहना…
अस्पताल में 11 सितंबर तक 32 मशीनें बिगड़ी हुई थी। मशीनों के बिगडऩे पर कंपनी को शिकायत की जाती है। इसके लिए जिला अस्पताल में तीन कर्मचारी नियुक्त किए गए है। कपंनी यदि शिकायत के बाद समय पर मशीनें नहीं सुधार पा रही है तो उन पर पेनाल्टी लगाई जा रही है।
डॉ अशोक बारंगा,सीएस जिला अस्पताल

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