नई दिल्ली, रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की योजना पर केंद्र सरकार ने 16 पन्नों का हलफनामा दायर किया है। इस हलफानामे में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क का पता चला है। ऐसे में ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरा साबित हो सकते हैं। केंद्र ने आशंका जताई कि म्यांमार से अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों के भारत में आने से क्षेत्र की स्थिरता को नुकसान पहुंच सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिंग्या हुंडी और हवाला के जरिये पैसों की हेरफेर सहित विभिन्न अवैध व भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए। कुछ रोहिंग्या दूसरे लोगों को भारत में प्रवेश दिलाने के लिए जाली पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे भारतीय पहचान पत्र बनाने व हासिल करने तथा मानव तस्करी में भी शामिल पाए गए। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने भारत में अवैध रूप से रह रहे म्यामांर के रोहिंग्या समुदाय के लोगों के भविष्य को लेकर सरकार से अपनी रणनीति बताने को कहा था। सरकार द्वारा रोहिंग्या समुदाय के लोगों को वापस म्यांमार भेजने के फैसले के खिलाफ याचिका को सुनने के लिए स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था।
दो रोहिंग्या शरणार्थियों मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद शाकिर द्वारा पेश याचिका में रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की सरकार की योजना को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन बताया गया है। दोनों याचिकाकर्ता भारत में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग में रजिस्टर्ड हैं। इन शरणार्थियों की दलील है कि म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ व्यापक हिंसा के कारण उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी है। गृह मंत्रालय ने बीती जुलाई में रोहिंग्या समुदाय के अवैध अप्रवासियों को भारत से वापस भेजने के लिए राज्य सरकारों को इनकी पहचान करने के निर्देश के बाद यह मुद्दा चर्चा का विषय बना था। सरकार द्वारा अपने रुख पर कायम रहने की प्रतिबद्धता जताए जाने के बाद अदालत में यह याचिका दायर की गई थी।