कर्ज माफी को लेकर हुई किरकिरी तो योगी ने अधिकारियों को लगा दी लताड़

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार ने चुनावी प्रचार के दौरान किया गया किसानों का कर्ज माफ कर अपना चुनावा वादा तो पूरा किया लेकिन प्रशासनिक लापरवाही ने सीएम योगी की सबसे बड़ी योजना पर भी पलीता लगा दिया। कर्जमाफी के नाम पर किसानों को 10 पैसे और 54 पैसे कर्ज माफी के सर्टिफिकेट बांटे गए जिसके बाद योगी सरकार की खूब किरकिरी हुई। योजना में हो रही योगी सरकार की किरकिरी के बाद अब सीएम योगी ने इस मामले में दखल देते हुए अधिकारियों को सख्त निर्दश दिए हैं कि 10 हजार से ज्यादा कर्ज माफ होने वाले किसानों को ही सर्टिफिकेट दिए जाएं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मीडिया में सर्टिफिकेट की फोटो और किसानों की शिकायत के बाद यह फैसला लिया है। मुख्यमंत्री योगी की तरफ से सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि आगे से 10 हजार से कम के कर्ज माफी का न तो सर्टिफिकेट जारी हो ना ही किसानों को इस कार्यक्रम में बुलाया जाए जहां सर्टिफिकेट बंट रहे हैं। इसके साथ ही 10 हजार से कम राशि के कर्ज को माफ किया जाना जरूरी है लेकिन उसका सर्टिफेटक जारी ना किया जाए।
बात दे कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने यूपी में किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था और सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने एक लाख तक का फसली ऋण माफ भी किया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में सीएम योगी ने लखनऊ में किसानों को सर्टिफिकेट बांटकर कार्यक्रम की शुरुआत की लेकिन जमीन पर आते-आते प्रशासन के अधिकारियों ने इस अहम योजना के साथ मजाक कर दिया। राज्य के कई किसानों को 10, 20, 50 या 100-200 रुपए की कर्जमाफी के सर्टिफिकेट दिए गए हैं। इसके बाद विपक्ष ने बीजेपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया और किसानों के प्रति प्रदेश सरकार का रवैया संवेदनहीन बता दिया। वहीं इसके बाद योगी सरकार ने प्रसानिक अधिकारियों को लताड़ा लगाते हुए हिदायत दे दी है।
यूपी के किसान राम सेवक जिस पर एक लाख रुपये का कर्ज था, उन्हें सिर्फ 10 रुपये 37 पैसे के कर्ज माफी का प्रमाणपत्र मिला है। इटावा जिले के भरथना तहसील के नगला भोली गांव के गरीब किसान जिलेदार सिंह ने बैंक से एक लाख रुपए कर्ज लिया था। गांव के लेखपाल ने कर्ज माफी का इन्हें सर्टिफिकेट तो दिया, लेकिन सिर्फ तीन रुपए का। ऐसे किसानों की लंबी फेहरिस्त है, जिन्हें 10, 20, 50 या 100-200 रुपए की कर्जमाफी के सर्टिफिकेट मिले हैं। किसानों को समझ नहीं आ रहा कि वो करें तो क्या करें और जाएं तो जाएं कहां। दरअसल, पूरे सूबे से ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें कर्जमाफी के सर्टिफिकेट को देखकर किसानों के होश उड़े हुए हैं। दिक्कत ये कि सरकार का एक मंत्री कह रहा है कि तकनीकी चूक है, तो दूसरा मंत्री कह रहा है कि सब ठीक है और जितने का सर्टिफिकेट मिला है, वो दरअसल वह रकम है, जो किसानों के कर्ज चुकाने के दौरान बाकी रह गई। इतना ही नहीं। शायद अब योगी सरकार के निर्दश के बाद प्रशासन की ओर से इस तरह की लापरवाही पर अंकुश लग सकेगा।

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