MP- 50 हजार रजिस्ट्रियों की आयकर विभाग को रजिस्ट्री दफ्तरों ने जानकारी नहीं दी

भोपाल, मध्य प्रदेश के पंजीयन विभाग ने पिछले 4 वर्षों में 30 लाख रुपए से ज्यादा की संपत्ति के जो पंजीयन हुए हैं। उसकी जानकारी आयकर विभाग को नहीं दी है। इसको लेकर आयकर विभाग ने अपना रुख सख्त कर लिया है।
पिछले माह आयकर विभाग के अधिकारियों ने जब रजिस्ट्री विभाग से मिले दस्तावेजों की जांच की। उस दौरान इस मामले का खुलासा हुआ। रजिस्ट्री के दौरान सब रजिस्ट्रार द्वारा नियम-कानूनों का भी उल्लंघन किया गया है। कई रजिस्ट्रियों में पैन कार्ड और नाम-पते भी ठीक तरह से दर्ज नहीं है। जिसके कारण बेनामी संपत्ति का पता लगा पाना मुश्किल हो रहा है।
आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार 30 लाख रुपए से अधिक की रजिस्ट्री की जानकारी आयकर विभाग को देना अनिवार्य है। किंतु पंजीयन कार्यालय द्वारा बहुत सारी जानकारी आयकर विभाग को नहीं दी गई तो निश्चित रुप से यह नियमों का उल्लंघन है। आयकर विभाग को अधिकार है कि इस तरह की जानकारी नहीं देने वाले पंजीयन विभाग के रजिस्ट्रार डिप्टी रजिस्ट्रार और सब रजिस्ट्रार पर 500रुपए रोजाना की पेनाल्टी लगा सकती है। यह पेनाल्टी जितने दिन जानकारी देने में विलंब किया गया है। उतने दिन पर लगाने का प्रावधान है।
-पंजीयन विभाग के अधिकारियों पर गिरेगी गाज
केंद्र सरकार द्वारा आयकर विभाग को कालेधन को पकड़ने और उनसे टैक्स जमा कराने का लक्ष्य दिया गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए आयकर विभाग सक्रिय हो गया है। आयकर विभाग ने पंजीयन कार्यालयों के रिकॉर्ड और रजिस्ट्री कार्यालय में की गई रजिस्ट्री से मिलान कर रहा है। जिन डिप्टी रजिस्ट्रार ने 30 लाख रुपए से ऊपर की रजिस्ट्री की जानकारी आयकर विभाग को नहीं भेजी होगी। उनके ऊपर जिस तारीख को रजिस्ट्री की गई है। उसके बाद से अभी तक का 500 रुपए प्रतिदिन की पेनाल्टी के नोटिस जारी करने पर मंथन चल रहा है। यदि ऐसा हुआ तो लाखों रुपयों की वसूली के नोटिस पंजीयन विभाग के डिप्टी रजिस्ट्रार और सब रजिस्ट्रारों को मिल सकते हैं।
आयकर विभाग ने पिछले 4 वर्षों में भी दस्तावेज पंजीयन हुए हैं। उनका पता लगा रहा है। 30 लाख रुपए से ऊपर के सभी दस्तावेजों की सूक्ष्म तरीके से जांच आयकर विभाग कर रहा है। अगले कुछ दिनों में बहुत बड़े बड़े खुलासे आयकर विभाग की जांच में होने की संभावना आयकर के अधिकारी व्यक्त कर रहे हैं। इस गड़बड़ी में बड़े बड़े राजनेता और वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़ी जानकारी आयकर विभाग को जान बूझकर नहीं भेजी गई है।

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