52 साल बाद फैसला एमपी नगर जोन-1 एवं 2 के मुआवजे में चुकाने होंगे हजारों करोड़

भोपाल, म.प्र.सरकार ने 1965 में एमपी नगर जोन वन और दो की लगभग 35 एकड़ जमीन हसन परिवार से अधिग्रहित की थी। इस भूमि का मुआवजा अभी तक हसन परिवार को नहीं मिला। इसका मामला पिछले कई दशकों से न्यायालयों में लंबित था। 1997 में कोर्ट ने 91 हजार मुआवजा देने के आदेश दिया था। किन्तु सरकार ने मुआवजा नहीं दिया। हाईर्कोट के फैसले से अब सरकार को 2 हजार करोड रुप्या चुकाने होंगे।
30 मार्च 1966 को सरकार ने एम पी नगर की जमीन जो लगभग 35 एकड़ थी। उसका मुआवजा 84518 रुप्या तय किया था। इसके खिलाफ हसन अली ने मुआवजा को लेकर एडीजे कोर्ट में अपील दायर की थी। एडीजी कोर्ट ने मुआवजे को बढ़ाकर 126139 रुपए कर दिया था। सरकार ने एडीजी कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में मामला दायर किया था। हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट को निर्देश दिया कि वह इस मामले में पुनः सुनवाई करके फैसला दें।
16 मई 1997 को एडीजे कोर्ट ने 91227 रुपए का मुआवजा तय किया था। कोर्ट ने 9 फ़ीसदी ब्याज देने को कहा था। 1 साल में मुआवजे की राशि अदा नहीं करने पर 15 फ़ीसदी ब्याज देने के आदेश कोर्ट ने दिए थे।
सरकार द्वारा यह राशि हसन परिवार को नहीं दी गई। इसके खिलाफ हसन अली के बेटे आरिफ ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर जमीन अधिग्रहण कानून के तहत जमीन का मुआवजा तय किये जाने की मांग की। इस याचिका पर 30 जून 2017 को हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के हक में फैसला दिया।
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता आरिफ हसन के पक्ष में फैसला देते हुए सरकार को आदेश दिया है, कि जमीन के वर्तमान बाजार मूल्य के आधार पर मुआवजे की रकम जमीन मालिक को चुकाई जाए। एमपी नगर की इस 35 एकड़ जमीन का वर्तमान बाजार मूल्य के हिसाब से, लगभग दो हजार करोड़ों रुपए मुआवजा होता है। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही है। मुआवजे की रकम हसन परिवार को कब तक मिल पाएगी। यह कहना बड़ा मुश्किल है। क्योंकि पिछले 50 साल से चल रहे इस मुकदमे ने समय समय पर नए-नए मोड़ लिए हैं । 35 एकड़ जमीन के मुआवजे में हितग्राही के पल्ले अभी तक कुछ नहीं आया। जिसकी जमीन थी वह मुआवजे की आस में परलोक सिधार गए, और उसके बच्चे भी अब बड़े बड़े हो गए हैं। किंतु उस को मुआवजा कब मिलेगा यह अभी भी तय नहीं है। अधिगृहित जमीन सरकार ने बीडीए को आंवटित की थी। इस जमीन पर मार्केट बन गए है। इसकी कीमत कलेक्टर रेट के अनुसार 20 हजार वर्गफुट तक पंहुच गई है।

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