नई दिल्ली, देश में अधिकांश लोग राजनीति में आते ही इसलिए हैं ताकि अनैतिक रूप से संपत्ति कमाई जा सके। राजनीति की आड़ में गलत काम करना भारत में आम बात है। ऐसे ही गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने कुछ सांसदों और विधायकों की संपत्ति में 500 गुना तक की बढ़ोतरी पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने सवाल किया-अगर सांसद और विधायक ये बता भी दें कि उनकी आय में इतनी तेजी से बढ़ोतरी बिजऩेस से हुई है, तो सवाल उठता है कि सांसद और विधायक होते हुए कोई व्यापार कैसे कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार से पूछा कि आज से सालों पहले एनएन वोरा की रिपोर्ट आई थी, आपने उस पर क्या काम किया? समस्या आज जस की तस है। आपने रिपोर्ट को लेकर कुछ नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि अब वक्त आ गया है ये सोचने का कि भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कैसे जांच हो और तेजी से फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो। जजों ने यह भी कहा कि आज जनता को यह पता चलना चाहिए कि वे कहां से इतना पैसा कमा रहे।
अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा
‘लोक प्रहरी’ नामक एनजीओ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। अब कोर्ट तय करेगा कि नामांकन के वक्त प्रत्याशी अपनी और अपने परिवार की आय के स्रोत का खुलासा करे या नहीं। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीडीटी के उस सील बंद लिफाफे को खोला, जिसमें सात लोकसभा सांसदों और 98 विधायकों द्वारा चुनावी हलफनामे में संपत्तियों के बारे में दी गई जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में दी गई जानकारी से अलग है।
सरकार ने अलापा पुराना राग
सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि इन सभी के खिलाफ जांच चल रही है और फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस को प्राथमिकता के आधार पर भेजा जाता है. जानकारी देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नामों को सार्वजनिक नहीं किया, बल्कि कोर्ट स्टॉफ को कहा कि वापस इसे सीलबंद कर दें।
जनता जान लो- ऐसे हैं आपके नेता
-26 लोकसभा सांसद, 11 राज्य सभा सांसदों की संपत्ति बेतहाशा बढ़ी
-257 विधायकों की संपति में दो चुनावों के बीच बहुत अधिक बढ़ी
-7 सांसदों 98 विधायकों की संपत्ति की जांच कर रहा आयकर विभाग