पटना,भाजपा नेता राम माधव द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में किए गए ट्वीट से विवाद खड़ा हो गया है। माधव ने एक के बाद एक ट्वीट कर कहा कि पूर्व चांसलर अमर्त्य सेन के समय ‘योग की राजनीति’ नामक कोर्स शुरू किया गया था। जानकारों के अनुसार यह कोर्स ‘योग की राजनीति’ नहीं, बल्कि ‘योग का इतिहास और राजनीति’ नाम से इस साल जनवरी में शुरू किया गया।
उस समय न ही अमर्त्य सेन चांसलर थे और न ही संस्थापक वाइस चांसलर गोपा सभरवाल। अमर्त्य सेन ने नवंबर 2016 में सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जॉर्ज यो को चांसलर की कमान सौंप दी थी। वहीं गोपा सभरवाल की जगह नए कुलपति पिछले साल आ गए थे। राम माधव की दूसरी आपत्ति इस बात को लेकर थी कि इस कोर्स को एक विदेशी शिक्षक पैट्रिसिया साउथोफ पढ़ा रही थीं, लेकिन इस कोर्स में मात्र पांच विद्यार्थी ही थे। राम माधव के अनुसार अब उस विदेशी शिक्षक की छुट्टी कर दी गई है। लोग इस लिए परेशान हो उठे हैं कि नालंदा विश्वविद्यालय को राजनीति का अखाड़ा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। अमर्त्य सेन को हमेशा निशाने ले कर भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश की जाती है। पिछले कुछ महीनों में कई फैक्लटी सदस्य इस्तीफा देकर यहां से जा चुके हैं। यहां के पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या में गिरावट आई है।
नालंदा विश्वविद्यालय पर राम माधव के ट्वीट के बाद विवाद
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