इन्दौर, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इन्दौर में होलकराें की खुफिया सुरंग का पता चला है। ये सुरंग शहर के मध्य राजबाड़ा के निकट स्थित प्राचीन गोपाल मंदिर के तल में खुदाई के दौरान निकली है। अभी इस मामले में शासन ने चुप्पी साधी हुई है। यह सुरंग कहाँ तक गयी है इसका विश्लेषण किया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस सुरंग का पता उस वक्त चला जब राजबाड़ा के निकट गोपाल मंदिर के जीर्णोधार के लिए चल रही खुदाई शुरू हुई। प्रारंभिक तौर पर मंदिर के नीचे पत्थरों की दीवार बनी हुई दिख रही है। हालांकि तलघर के तौर पर भी इन सुरंगो को देखा जा रहा है। मंदिर के दो ढ़ांचो को पूरी तरह तोड़ने के बाद इन सुरंगों के रहस्य से पर्दा उठा।
ज्ञात हो कि स्मार्ट सिटी योजना के कार्यों के अंतर्गत कई पुराने निर्माणों को तोड़कर नए और आधुनिक तौर पर बनाए जाने की दिशा में निगम-प्रशासन काम कर रहा है। राजबाड़ा के आस-पास वर्षों से बनी दुकानों को हटाने के साथ ही होलकर कालीन पुरातत्व महत्व के गोपाल मंदिर को भी तोड़ा जा रहा है। मंदिर प्रांगण मे बने दो निर्माण को तोड़ने के बाद चौंकानें वाला खुलासा हुआ है। मंदिर के पास बने ढांचें मे सुरंग मिली है। मंदिर के जीर्णोद्धार का काम कर रही कंपनी के सुपरवाइजर के अनुसार यहां एक बड़ी सुरंग मिली है, जिसकी दीवारें काले पत्थरों (ऐरन) से बनी हुई है।
जानकारों के अनुसार इस सुरंगनुमे तयखाने से कुछ अन्य खुफिया रास्ते राजबाड़ा व अन्य आस-पास के क्षेत्रों से जुड़ी होने की बात कहीं जा रही है। मंदिर का ढांचा करीब 236 वर्ष पुराना है। होलकर राजवंश के दौरान इस सुरंग का इस्तेमाल खाना और गोपनीय दस्तावेंज ले जाने के लिए किया जाता था। ज्ञात हों कि 1832 में इस मंदिर का निर्माण कृष्णाबाई होलकर ने करवाया था। मंदिर के जिस हिस्से मे सुरंग मिली है, वहां अन्नक्षेत्र था। लिहाजा खाना खाने के साथ ही यहां से खाना राजबाड़ा सुरंग के जरिए भेजा जाता था। वहीं सुरंगो के लिए कहा जाता है कि न सिर्फ राजबाड़ा बल्कि लालबाग पैलेस, छत्रियां, हवाबंगला, फूटी कोठी तक सुरंग के रास्ता बना हुआ है। यह भी कहा जा रहा है की इन्ही सुरंगों में कहीं पर भगवान शिव का मंदिर भी बना है, जहां पर अहिल्याबाई होलकर पूजा करने के लिए जाती थी। हालांकि सुरंगों के लेकर पुरात्तव विभाग जांच कर रहा है, जिसके बाद भी सुरंगों का रहस्य सामने आ पाएगा।