अनूपपुर, इन दिनों जिला चिकित्सालय सहित पूरे जिले के शहरी एवं ग्रामीण अंचलों की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चौपट हैं. मरीज लगातार रेफर किये जाते हैं, जिसके चलते आमजन में भारी आक्रोश व्याप्त है।
क्षेत्रीय विधायक एवं स्थानीय नेताओं की गुटबाजी कहें या प्रशासनिक अफसरशाही जिसके चलते नगर विकास में ग्रहण लग गया है। राज्य के सीमावर्ती जिला अनूपपुर शासन, प्रशासन में बैठे लोगों के लिए चारागाह से कम नहीं है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमाभारती, बाबूलाल गौर, वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अनूपपुर जिला आगमन कम से कम २० बार हो चुका, जब भी मुख्यमंत्री का आगमन जिला मुख्यालय अनूपपुर में होता है तो जिला चिकित्सालय निर्माण का मामला एवं अन्य विकास कार्य मुख्यमंत्री के सामने आते हैं। लेकिन जिला चिकित्सालय का निर्माण आज तक नहीं हो सका। अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय दिग्गज भाजपा नेताओं की आपसी गुटबाजी के चलते जहां कार्यकर्ता परेशान है वहीं नगर का विकास चौपट हो गया है।
जिला चिकित्सालय का मामला कूडादान में
विगत १० वर्ष पूर्व जिला प्रशासन एवं नगरवासियों व भू-मालिकों के बीच समझौता हुआ था कि अमरकंटक रोड पर जिला चिकित्सालय का निर्माण कराया जाये और जिन किसानों की भूमि जिला चिकित्सालय निर्माण के लिए अधिग्रहित की जायेगी उन्हें अन्य क्षेत्रों में शासकीय भूमि आवंटित की जायेगी। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों व जिला प्रशासन की निष्क्रियता के चलते पूरा मामला कूड़ेदान में जा चुका है।
मुख्यमंत्री की घोषणा है हवाहवाई
प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनाव के समय इतना अधिक घोषणा कर लेते हैं कि उन्हें व उनके नुमाइंदों को भूल जाता है। ज्ञातव्य है ११ नवंबर २०११ को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अनूपपुर आगमन हुआ था, मुख्यमंत्री श्री चौहान संयुक्त कलेक्ट्रेट सभाग्रह में प्रशासनिक अधिकारी एवं कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे थे उसी समय उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन एवं कमिश्रर को सख्त आदेश दिए थे कि किसानों के बीच हुए समझौते का पालन करते हुए १० दिन के अंदर जिला चिकित्सालय का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाये लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जनप्रतिनिधि विकास कार्य से मुंह मोड रहे हैं।
निष्क्रिय है जिला प्रशासन
विगत वर्षों से जिला प्रशासन अत्यधिक निष्क्रिय देखा जा रहा है। जिसके चलते जिले का विकास वेंटीलेटर में अंतिम सांसे गिन रहा है। जिला चिकित्सालय भूमि का मामला सुलझाते-सुलझाते जिले में लगभग एक दर्जन से अधिक कलेक्टर आये और गये, अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर सके।
प्रभारी मंत्रियों को जिला विकास से क्या लेना-देना
भाजपा शासन काल में ओमप्रकाश धुर्वे, नागेंद्र सिंह, रमाकांत तिवारी, सुश्री मीना सिंह, जयसिंह मराबी, हरिशंकर खटीक, ज्ञान सिंह जैसे लोग अनूपपुर जिले के प्रभारी मंत्री रह चुके हैं और जिला चिकित्सालय का मामला नहीं सुलझा सके और अब जिले की बिगडी व्यवस्था की जिम्मेदारी विकास पुरूष, जिले के प्रभारी मंत्री संजय पाठक को सौंपी गई थी लेकिन उनके पास इतनी अधिक व्यस्तता है कि अनूपपुर जिले के विकास हेतु उन्हें फुरसत नहीं मिल रही।
राह ढूंढ़ रहा जिला मुख्यालय
जिला मुख्यालय में कन्या महाविद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, जिला चिकित्सालय, न्यू बस स्टैण्ड, सब्जीमण्डी, रेलवे फ्लाई ओव्हर ब्रिज जैसे सुविधाओं के लिए जिले भर के लोग मोहताज हैं। कन्या महाविद्यालय की कमी एवं जिला चिकित्सालय अव्यवस्थित होने के चलते आमजन को समस्याओं से जूझना पड रहा है।
चाटुकारों से घिरे हैं जनप्रतिनिधि
भाजपा के बडे नेता अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं लेकिन जनप्रतिनिधि अपने चाटुकारों से घिरे हैं। जबकि केंद्र एवं प्रदेश में भाजपा की सरकार स्थापित है फिर भी जिले के विकास को लेकर क्षेत्रीय विधायक, सांसद, प्रभारी मंत्री, मुख्यमंत्री व विभाग के मंत्रियों तक नहीं पहुंच पा रहे। जनचर्चा है कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को अपने चम्मचों से फुरसत नहीं मिल पा रही।
फ्लाई ओव्हर ब्रिज बना नासूर
नगर के मध्य रेलवे फाटक पर फ्लाई ओव्हर ब्रिज का मामला विगत वर्षों से लटक रहा है, आगामी नगरीय निकाय चुनाव, विधानसभा, लोकसभा चुनाव में नगर के रेलवे फाटक में फ्लाई ओव्हर ब्रिज का निर्माण न होना आमजनता के लिए मुख्य मुद्दा होगा, जिसका जवाब भाजपा के लोग नहीं दे पायेंगे।
मुख्यमंत्री किए थे घोषणा
विगत वर्ष अगस्त माह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अनूपपुर आगमन हुआ था। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मंच के माध्यम से अनूपपुर नगर में फ्लाई ओव्हर ब्रिज निर्माण कराये जाने की घोषणा ही नहीं किए बल्कि उनके द्वारा ब्रिज निर्माण हेतु राशि आवंटित कर दी गई लेकिन स्थानीय नेताओं के हिटलारशाही एवं प्रशासनिक ढुलमुल रवैया के चलते फ्लाई ओव्हर ब्रिज का निर्माण शासन, प्रशासन के लिए नासूर बन गया है।