पटना, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बिहार कांग्रेस में असंतोष साधने में नाकाम रहे हैं। ६ विधायकों ने राहुल का आमंत्रण ठुकरा दिया है जबकि बाकी ने साफ़ कहा है कि बिहार में कांग्रेस को लालू का साथ छोड़ देना चाहिए। बुधवार को राहुल गांधी से मिले विधायकों का कहना था अगर ऐसा नहीं किया गया तो पार्टी को मतदाताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा। वहीं, छह विधायकों ने दिल्ली पहुँचने से ही इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि वे बाढ़ से प्रभावित अपने विधानसभा क्षेत्र में व्यस्त हैं। बिहार में कांग्रेस पहले जदयू एवं राजद के साथ सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल थी। बाद में जदयू के भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बाद राजद एवं कांग्रेस विपक्ष में आ गई।
बिहार में कांग्रेस के पास 27 विधायक हैं, उसमें से 19 पार्टी छोड़ना चाहते हैं। एक सप्ताह पहले ही उनके प्रतिनिधि के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाकात की थी। सोनिया ने विधायकों से एकजुट रहने तथा बीजेपी की दक्षिणपंथी विचारधारा का विरोध करने वाले लालू यादव जैसे नेताओं से मिलकर चलने की नसीहत थी। लेकिन बात बिगड़ गई क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी को दिल्ली नहीं बुलाया गया। बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह भी दिल्ली में राहुल से मिलने के लिए आने वाले पार्टी विधायकों के साथ नहीं आए। राहुल की बिहार के पार्टी विधायकों के साथ हुई इस बैठक में पार्टी महासचिव और राज्य के प्रभारी डॅा। सी पी जोशी भी मौजूद थे।
कांग्रेस में बिखराव को लेकर अटकलों को बल महागठबंधन के बिखराव के बाद स्थानीय कांग्रेस नेताओं द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना करने में नरम रवैया बरते जाने के कारण मिल रहा है। साथ ही बिहार में व्यवस्था परिवर्तन होने के बावजूद महागठबंधन सरकार में शामिल रहे राजद के मंत्रियों को बंगला खाली करने का नोटिस तो दिया गया पर कांग्रेस कोटे के मंत्रियों में से अशोक चौधरी और अवधेश कुमार सिंह से सरकारी बंगला खाली नहीं करवाया गया। नीतीश ने आठ मंत्रियों की जगह अभी खाली छोड़ रखी है। इसके बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि ये जगह कांग्रेस छोड़कर आने वालों के लिए रखी गयी है।