नोटबंदी की मार- किसान की मौत के बाद पेटी से निकले डेढ़ लाख के पुराने नोट

मुलताई,नोटबंदी का असर 10 माह बाद भी देखने को मिल रहा है जिससे क्षेत्र के एक किसान पूरा परिवार प्रभावित प्रभावित हो गया है। हुआ यूं कि सितंबर माह में तिवरखेड़ निवासी किसान रामजी पिता तुकाराम लकवा गस्त हो गया जिससे उनका पूरा शरीर सुन्न पड़ गया। इसके बाद फरवरी 2017 में उनकी मौत हो गई। तेरहवीं के लिए जब उनके पुत्र पुरूषोत्तम कुंभारे ने गेंहू निकालने के लिए कोठी खोली और गेंहू निकाला तो उसमें 1 लाख 46 हजार रूपए के पुराने एक हजार एवं पांच सौ के नोट निकले। लेकिन तब तक नवबंर में नोटबंदी होकर फरवरी तक नोट बदलने का भी समय निकल चुका था। पुरूषोत्तम द्वारा इसका पंचनामा तिवरखेड़ पंचायत से भी बनाया गया तथा नोट बदलने नागपूर जाकर सीधे आरबीआई से संपर्क किया लेकिन आरबीआई ने दो टूक जवाब देते हुए कह दिया कि अब पुराने नोट नही बदले जा सकते फिलहाल सिर्फ एनआरआई के ही नोट बदल सकते हैं। परेशान पुरूषोत्तम एवं उसके परिवार ने हर जगह गुहार लगाई लेकिन कहीं भी नोट नहीं बदले अंत में उसने एक बार फिर मंगलवार बैतूल में जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर शशांक मिश्र से गुहार लगाई लेकिन वहॉ भी उन्हे निराशा ही हाथ लगी तथा कलेक्टर ने भी कह दिया कि अब वे भी कुछ नही कर सकते। परेशान किसान का परिवार अब सकते में है कि पैसा होने के बावजूद वह इसका उपयोग नही कर सकता।
प्रभावित हो गई बेटी की पढ़ाई
पुराने नोट नही बदलने का पूरे परिवार पर व्यापक असर देखने को मिला है। मृतक किसान की तेहरवीं के खर्च से जहॉ पूरा परिवार कर्जदार बन गया है। यदि नोट बदल जाते तो कर्ज अदा हो जाता। पुरूषोत्तम कुंभारे ने बताया कि उसकी बहन मोनिका इंदौर में कक्षा 12 वीं में अध्ययनरत है फिलहाल पैसा नही होने के कारण अब उसकी पढ़ाई प्रभावित हो गई है। पुरूषोत्तम ने बताया कि कलेक्टर से गुहार लगाने के बाद भी निराशा हाथ लगी है इसलिए अब वे सारी उम्मीद छोड़ चुके हैं। उन्होने बताया कि नोट नही बदलवाने के कारण से लेकर समस्त दस्तावेज भी बताए गए लेकिन इसके बावजूद कुछ नही हो पाया है।

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