नई दिल्ली, कैबिनेट फेरबदल के बाद जल संसाधन और गंगा स्वच्छता मंत्रालय छिनने के बाद उमा भारती ने पहली बार बयान दिया है। उमा ने कहा कि कोई क्या सोचता है उससे मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं गंगा के कामकाज में फेल नहीं हुई हूं। उमा भारती ने कहा, पोर्टफोलियो बदलने के पीछे मेरी इच्छा थी। मैंने प्रधानमंत्री से गंगा के किनारे पदयात्रा करने की अनुमति मांगी थी। अब वो इच्छा पूरा करने जा रही हूं। मैं प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करती हूं। इसके साथ ही उमा भारती ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि प्रधानमंत्री से मुझे डांट पड़ी है, लेकिन कामकाज के लिए नहीं, बल्कि मेरा वजन बढऩे के लिए। पीएम ने मुझे डांटा और कहा कि तुम्हारा वजन बढ़ रहा है। गौरतलब है कि उमा को अब पेयजल और स्वच्छता मंत्री बनाया गया है। उमा ने अक्टूबर के पहले सप्ताह से गंगा पदयात्रा शुरू करने की घोषणा की है। यह पदयात्रा गंगा सागर से शुरू होगी और एक साल तक चलेगी।
एक साल में गंगा को स्वच्छ बनाना है लक्ष्य
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए 2018 का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह नदी लाखों भारतीयों के जीवन को किसी न किसी तरह प्रभावित करती है। जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार नमामि गंगे मिशन के तहत 12,500 करोड़ रुपये की कुल 160 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं। वैसे गंगा को स्वच्छ बनाने का यह मिशन 20000 करोड़ रुपये का है।
गडकरी ने की उमा की तारीफ
सोमवार को जब गडकरी ने जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद पिछले तीन सालों में नदी की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए उमा भारती के कठिन प्रयासों की सराहना की थी। गडकरी ने कहा कि वे इस बात का प्रयास करेंगे कि मंत्रालय उन सभी लक्ष्यों को हासिल करे, जो उमा भारती ने निर्धारित किए हैं।