भोपाल,प्रदेश सरकार द्वारा सिंगल विंडो सिस्टम की घोषणा के बावजूद अभी तक धरातल पर नहीं उतर सकी है। कई कंपनियों को आज भी एनओसी के लिए दर्जन भर से ज्यादा दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर व जबलपुर में विकसित किए जा रहे ‘आईटी पार्क” अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सके। इसकी वजह लालफीताशाही, नीति और कार्यशैली को बताया जा रहा है।
यही वजह है कि सूचना तकनीक और इंडस्ट्री डेवलपमेंट में छत्तीसगढ़, गुजरात सहित अन्य राज्य मप्र से आगे निकल चुके हैं। राजधानी में आईटी पार्क 2015 में शुरू होना था, लेकिन अभी तक उद्घाटन की तारीख तय नहीं हो पाई। निर्माण एजेंसी हाउसिंग बोर्ड का कहना है निर्माण कार्य अब अंतिम दौर में है, लेकिन यहां इंडस्ट्री लगाने वालों को आज भी सिंगल विंडो का लाभ नहीं मिल पा रहा। उन्हें अलग-अलग दफ्तरों चक्कर लगाना पड़ रहे हैं। इन राज्यों में ज्यादा छूट मप्र ने आईटी नीति के तहत आईटी पार्क में पूर्ण विकसित भूखंड आवंटन में कंपनियों को जमीन की मूल कीमत में 25 फीसदी की छूट दी है। लेकिन पड़ौसी राज्य छत्तीसगढ़ और गुजरात में ऐसे उद्योगों को जमीन आधी कीमत में दी जा रही है। नए राज्य तेलंगाना ने तो बड़ी कंपनियों को आईटी पार्क में मुफ्त जमीन बांटने का ‘ऑफर” दे दिया है। इसके चलते वहां बड़े निवेशक आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन मप्र के प्रति ऐसे उद्योगों का स्पष्ट रुझान सामने नहीं आ रहा। इंवेस्टर्स को सबसे ज्यादा नक्शा पास कराने में दिक्कत होती है। नगर निगम उनसे ‘डेवलपमेंट चार्ज” भी मांग रहा है। आईटी से जुड़ी देसी एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियां मप्र में पूरी क्षमता से काम शुरू नहीं कर पा रहीं। इस वजह से युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं बढ़ पा रहे। जीएसटी लागू होने के बाद आईटी इंडस्ट्री पर स्पष्ट पॉलिसी सामने नहीं आई। सरकार ने ‘वेट” में 6 फीसदी छूट देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब नियम स्पष्ट नहीं हो पाए।
सिंगल विंडो सिस्टम फ्लॉप,कंपनियों को आज भी NOC के लिए लगाने पड रहे चक्कर
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