पेइचिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिक्स देशों से बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ‘प्रतिबंध लगाने वाली नीतियों’ के खिलाफ मिल कर खड़े होने का आह्वान किया है। पुतिन की यह अपील भारत और चीन के लिए कठिनाइयां पैदा कर सकती है। रविवार को होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन से पहले पुतिन ने कहा रूस की इस पहल का मकसद बेहतर प्रतियोगिता के लिए ब्रिक्स देशों की एकाधिकार-विरोधी एजेंसियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने वाले प्रभावशाली तंत्र का निर्माण करना है।
पुतिन ने कहा हमारा उद्देश्य प्रतिबंधित व्यापारिक कार्यों के खिलाफ काम करने के लिए सहयोगी उपायों का पैकेज तैयार करना है। समीक्षकों का मानना है कि कुछ पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से पुतिन ने यह बात कही हैं। इन प्रतिबंधों से रूसी कंपनियों के वैश्विक प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अगर रूस इस पर गंभीरता से प्रस्ताव लाने की कोशिश करेगा, तो भारत और चीन के लिए असहज स्थिति पैदा हो जाएगी। दरअसल भारत की सूचना तकनीक क्षेत्र की कंपनियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ हुए समझौतों पर काफी ज्यादा निर्भर करती हैं। इनमें अधिकांश कंपनियां या तो चीन की हैं या इनमें चीनी कंपनियों का निवेश शामिल है।
साथ ही चीन नए बाजार की तलाश और नई तकनीक के लिए पश्चिमी कंपनियों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। दूसरी ओर, पुतिन चाहते हैं कि ब्रिक्स देश अपने स्तर पर साइबर सुरक्षा की तकनीक विकसित करें, जो पश्चिमी तकनीक से अलग हो। इस मामले में भारतीय कंपनियां पश्चिमी तकनीक पर ही निर्भर हैं। रूसी राष्ट्रपति ने कहा रूस वैश्विक सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में ब्रिक्स देशों के बीच बातचीत को बढ़ावा देने की बात कहता रहा है। पुतिन ने कहा इस कार्य में विभिन्न देशों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रस्ताव लाना जरूरी है। उन्होंने कहा अंतराष्ट्रीय सूचना सुरक्षा के मुद्दे पर अंतर-सरकारी ब्रिक्स समझौते पर सभी सदस्य देशों की सहमति, इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगी।