नई दिल्ली, वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को बैंक से कर्ज लेकर उसे नहीं लौटाने वाली निजी कंपनियों के मालिकों से कहा है कि वह अपना बकाया चुकाएं या फिर कारोबार छोड़कर उसका नियंत्रण किसी दूसरे के हवाले कर दें।
भारतीय रिजर्व बैंक ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत हाल ही में ऐसी 12 बड़ी कर्जदार कंपनियों के खिलाफ दिवाला कारवाई शुरू करने का बैंकों को निर्देश दिया है। इन कंपनियों में दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज फंसा हुआ है। यह राशि बैंकों के कुल फंसे कर्ज का एक चौथाई के करीब है। बैंकों से कर्ज लेकर उसे नहीं लौटा पा रहे कुछ और कर्जदारों के खिलाफ भी कार्रवाई को अधिसूचित किया जा रहा है।
एक कार्यक्रम के दौरान जेटली बोले कि सरकार बैंकों को और पूंजी उपलब्ध कराने के लिए तैयार है, लेकिन फंसे कर्ज का समाधान सरकार के लिये बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून के जरिये, मैं समझाता हूं कि देश में पहली बार फंसे कर्ज के मामले में सक्रिय कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि फंसे कर्ज का समाधान करने में समय लगेगा। आप इस मामले में एक झटके में कार्रवाई नहीं कर सकते हैं।
अरुण जेटली बोले कि सरकार ने बैंकों को पहले ही 70 हजार करोड़ रुपये तक पूंजी उपलब्ध करा दी है। उन्हें और पूंजी देने के लिये भी तैयार है। कुछ बैंक बाजार से भी पूंजी जुटा सकते हैं, हम बैंकिंग क्षेत्र में एकीकरण की कार्रवाई आगे बढ़ाने का भी काम कर रहे हैं। हमें ज्यादा बैंक नहीं चाहिए, हमें कम लेकिन मजबूत बैंक चाहिए। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह ही देश के सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों के बीच विलय प्रक्रिया तेज करने का फैसला किया, ताकि इन बैंकों की कार्यक्षमता और संचालन को बेहतर बनाया जा सके।