नई दिल्ली,देश की आर्थिक वृद्धि दर के अप्रैल-जून तिमाही में 6.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे पिछली तिमाही में यह 6.1 प्रतिशत थी। एचएसबीसी की रिपोर्ट में यह बताया गया है। वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार तिमाही के दौरान कमजोर निवेश तथा निर्यात वृद्धि से उच्च निजी निवेश तथा सरकारी व्यय का प्रभाव फीका रह सकता है। बजट जल्दी पेश करने और हाल ही में लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों, उससे होने वाली प्राप्तियों तथा छूट आदि के प्रभाव के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आने वाले आंकड़े गड़बड़ा सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी तथा उसके बाद जीएसटी क्रियान्वयन जैसी नीतियों में बदलाव के बीच अगली कुछ तिमाहियों में सकल मूल्य वद्र्धन (जीवीए) आर्थिक गतिविधियों के मापने का भरोसेमंद उपाय हो सकता है। हमाराअनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही जीवीए वृद्धि सालाना आधार पर सुधरकर 6.2 प्रतिशत रहेगी जो इससे पूर्व नोटबंदी से प्रभावित तिमाही में 5.6 प्रतिशत थी।
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