भोपाल, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा है कि वे इस बात का जवाब दें कि नीट के मामले में जब जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश के युवाओं के पक्ष में फैसला दिया था तो ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि वे अपने प्रदेश के ही युवाओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गए।
नेता प्रतिपक्ष सिंह ने कहा कि नीट का मामला साधारण मामला नहीं है, यह इसलिए गंभीर है कि शिवराज सरकार इन दिनों मध्यप्रदेश की नहीं दूसरे प्रदेशों के लोगों के हितों और लोगों की चिंता कर रही है। फिर चाहे उसे प्रदेश या युवाओं के साथ ही विश्वासघात ही क्यों न करना पड़े। उन्होंने उदाहरण दिया कि गुजरात सरकार के फायदे के लिए मुख्यमंत्री ने बड़वानी धार झाबुआ के लाखों लोगों को विस्थापित कर दिया, उन्हें बेघर कर दिया। उन्होंने कहा कि यहीं नीति सरकार ने नीट के मामले में अपनाई है। उन्होंने कहा कि जब यह स्पष्ट नियम था कि 15 प्रतिशत सीटें राष्ट्रीय स्तर की और 85 प्रतिशत सीटें राज्य के हिस्से की होगी तब राज्य सरकार ने प्रदेश के युवाओं का हक छीनकर बाहर के लोगों को प्रवेश प्रक्रिया में क्यों शामिल किया। उन्होंने कहा कि मूल निवास प्रमाणपत्र कितना विश्वसनीय है, यह भी इससे पता चलता है कि 300 लोगों ने फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवा लिए। उन्होंने कहा कि जब सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गए याचिकाकर्ताओं की याचिका पर प्रदेश के युवकों के अधिकारों का संरक्षण कर उनके हक में फैसला दिया। तब भी सरकार नहीं चेती और मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई। इससे सरकार की नीयत और नीति दोनों संदेहास्पद हो जाती है। उन्होंने कहा कि व्यापमं के साथ-साथ नीट के मामले की भी सीबीआई जांच की जाना चाहिए।
सतना कलेक्टर से मांगा जवाब
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बताया कि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मध्यप्रदेश ने चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में संभावित उपचुनाव को देखते हुए, जिला कलेक्टर द्वारा विशेष रूचि लेने और मतदाताओं को प्रभावित करने की दृष्टि से कार्य करने के संबंध में की गई शिकायत पर कलेक्टर सतना से जवाब मांगा है। सिंह ने कहा कि संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कलेक्टर सतना को लिखे पत्र में शिकायत में उल्लेखित बिन्दुओं पर बिन्दुवार तथ्यात्मक जानकारी अविलंब भेजने को कहा है। सिंह ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में दिल्ली में चुनाव आयुक्त से मिलकर भी उन्हें इसकी जानकारी दी है।