गोरखपुर में दो दिनों में बयालीस बच्चों की मौत,डॉ. राजीव मिश्र पत्नी सहित गिरफ्तार

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (बीआरडी) अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला अब भी जारी है। पिछले 48 घंटों में इस अस्पताल में 42 बच्चों की जान जा चुकी हैं। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डा. पीके सिंह ने बताया कि इनमें से सात बच्चों की जान इन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) से गई है, जबकि बाकी दूसरी वजहों से मरे हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है कि मेडिकल कालेज अस्पताल में इतने बड़े पैमाने पर बच्चों की जानें गई हों। इसी माह दस अगस्त की रात ऑक्सिजन की आपूर्ति में बाधा होने से पांच दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में कार्रवाई करते हुए मेडिकल कालेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डा. राजीव मिश्रा और इंसेफलाइटिस वॉर्ड के इंचार्ज कफील को उनके पद से हटा दिया गया था। बाद में एसटीएफ ने राजीव मिश्रा को कानपुर में गिरफ्तार किया था। कफील का अब तक पता नहीं चला है। इसके बाद मेडिकल कालेज के कामकाज में चुस्ती लाने की कोशिशें की गईं। लेकिन मौतों का सिलसिला जिस तरह से जारी है, उसको देख कर तो यही लगता है कि मेडिकल कालेज की प्रशासनिक व्यवस्था अब भी ज्यों की त्यौं है।
उधर,बाबा राघवदास मेडिकल कालेज, गोरखपुर के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. राजीव मिश्र तथा उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया है। गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कालेज त्रासदी में ऑक्सीजन समाप्त होने के कारण 40 बच्चों सहित 60 लोगों की मौत के मामले में इनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। दोनो की गिरफ्तारी कानपुर से की गयी है। दोनो ही अपने एक रिश्तेदार और प्रतिष्ठित वकील के यहां छिपे थे। एसटीएफ ने उन्हें गिरफ्तार कर गोरखपुर पुलिस के हवाले कर दिया है। अब अगली कार्रवाई गोरखपुर पुलिस करेगी।
उल्लेखनीय है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 व 11 अगस्त को अधिक बच्चों की मौत होने के बाद गोरखपुर के जिलाधिकारी को जांच सौंपी गई थी। डीएम की रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से लेकर कई अन्य जिम्मेदार डॉक्टरों को लापरवाही का तो दोषी माना गया था, लेकिन ऑक्सीजन की कमी की बात सामने नहीं आई थी। उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी। मामले में कई स्तरों पर अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही की बातें सामने आई थीं। जिसके बाद इस मामले में निलंबित प्राचार्य और उनकी पत्नी सहित नौ लोगों के खिलाफ बीती 23 अगस्त को लखनऊ के हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था।

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