इन्दौर,चरित्र को लेकर सवाल उठाने वाले मामले लगातार सामने आते हैं तो बहुत शर्मिंदगी झेलना पड़ती है। इन मामलों को देखकर लगता है कि अब देश में राजनीति के साथ धर्म में भी शुद्धिकरण की आवश्यकता है।
यह बातें योग गुरू बाबा रामदेव ने मंगलवार को इन्दौर विमानतल पर पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान कहीं। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा राम रहीम को सजा दिए जाने के मामले में पूछे गये एक सवाल पर बाबा रामदेव अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। बाबा रामदेव ने कहा कि जो लोग शिखर पर बैठे हो उन्हें अनैतिक काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने राम के नाम पर पाखण्ड फैलाने वालों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कोई ऐसा व्यक्ति जो बाबा या संत के रुप में हो, उसके नाम में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का नाम हो लेकिन उसका आचरण दूषित हो तो उसे अपने नाम से राम का नाम हटा लेना चाहिए।
पतंजलि की एक अहम बैठक के सिलसिले में इन्दौर पहुंचे बाबा रामदेव ने ये भी कहा कि किसी भी व्यक्ति विशेष के द्वारा किये गए ‘कु-आचरण’ को किसी सभ्यता, संस्कृति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भी कई ऐसे संत है जो प्रामाणिकता, सद्चरित्रता और पवित्रता के साथ जीवन जी रहे है और सेवा साधना कर रहे है। एक किसी साधु, संत या फकीर के भेष में कोई व्यक्ति था और उसने गलती की, उससे कोई उस परम्परा को अपराधी मान लेना, यह बात गलत है। लेकिन यह सच है कि हर दो-तीन साल के अंदर जिस तरह की घटनाऍं सामने आ रही है, उससे बहुत शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। बाबा राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसा पर भी रामदेव ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि शिखर पर होने वालों को अनैतिक और कानून से बाहर जाकर कोई कार्य नहीं करना चाहिए। क्योंकि उनका जीवन सार्वजनिक होता है और करोड़ों लोगों की नजरें और विश्वास उनपर होता है। बाबा रामदेव से जब पूछा गया कि भाजपा और उसके सहयोगी दल ने डेरा प्रमुख राम रहीम के समर्थन से ही हरियाणा में सरकार बनाई थी, आने वाले समय में इसका क्या असर पड़ेगा? योगगुरू रामदेव ने कहा कि क्या असर पड़ेगा, क्या नहीं पड़ेगा.. यह सब राजनीतिक बातें है। इस इतना कहकर इस सवाल को टाल गये। राजनीति के साथ धर्म में भी सुचिता की आवश्यकता के बारे में पूछे जाने पर योगगुरू बाबा रामदेव ने कहा कि धर्मसत्ता और राजसत्ता दोनों में ही जिस तरह से कलंक लगे है, दोनों के ही शुद्धिकरण की बहुत बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि धर्मसत्ता के लिए हमारे शास्त्रों ने जो आचार संहिता तय की हुई है, उसका पालन सभी को करना चाहिये।