भुवनेश्वर, पिछले वर्ष ओडिशा के कालाहांडी में रहने वाले दाना मांझी की तस्वीरें दुनियाभर में चर्चा में बनी हुई थीं। मांझी करीब 12 किमी की दूरी तक पत्नी का शव कंधे पर लेकर गए थे। उन्हें पैसे की कमी के चलते और जिला अस्पताल के अधिकारियों द्वारा कथित रूप से मदद न देने पर यह कदम उठाना पड़ा था। अब एक साल बाद, मांझी की जिंदगी बदल गई है। एक साल पहले हुए घटनाक्रम के बाद कई लोग मांझी की मदद के लिए आगे आए और उन्हें आर्थिक सहायता दी थी। मांझी के पास अब 37 लाख रुपए से अधिक जमा राशि हैं। अब उनकी तीनों बेटियां भुवनेश्वर के एक स्कूल में पढ़ने जाती हैं। कुछ महीनों पहले ही मांझी का तीसरा विवाह हुआ है और अब वह अपने परिवार के लिए बेहतर सुविधाएं जुटाने के लिए आशान्वित हैं।
गौरतलब है कि 24 अगस्त 2016 को टीबी से पीडि़त मांझी की पत्नी ने अंतिम सांस ली थी। अस्पताल से मदद न मिलने पर मांझी ने पुरानी चादरों में पत्नी का शव लपेट दिया और उसे कंधे पर लेकर गांव के लिए निकल गए। साथ-थ उनकी भावुक बेटी चल रही थी। जब कुछ स्थानीय पत्रकारों ने मांझी की दयनीय हालत को देखा, तो उन्हें जिला प्रशासन को सूचना दी जिसके बाद एंबुलेंस बुलवाई गई। मांझी का मानना है कि सरकार और संबंधित अधिकारियों को अब उन पर ध्यान केंद्रित न कर उनके गांव के विकास को लेकर कदम उठाना चाहिए। मांझी को ओडिशा सरकार ने इंदिरा आवास योजना के तहत घर आवंटित किया था। वहीं बहरीन के प्रधानमंत्री प्रिंस खालिफा ने नौ लाख रुपए का चेक दिया था। इधर सुलभ इंटरनेशनल ने 2021 तक तय राशि देने की घोषणा की थी।
पत्नी का शव कंधे पर ढोने वाले मांझी के खाते में साल भर बाद 37 लाख रुपए जमा,बदली जिंदगी
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