नई दिल्ली, ताजमहल को लेकर भारतीय पुरातत्व विभाग ने स्थानीय कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। विभाग ने स्थानीय कोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ताजमहल मंदिर नहीं बल्कि मुमताज की याद में बनवाया गया मकबरा ही है। विभाग ने ये रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि ताजमहल मंदिर नहीं है। एएसआई ने इस तर्क को मानने से भी इनकार कर दिया है कि ताजमहल हिंदुओं का शिव मंदिर है। गौरतलब है कि ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में एक माना जाता है। मुगल बादशाह शाहजहां (1628—1658) ने अपनी बेगम अर्जुमंद बानो बेगम (मुमताज महल) की याद में इसे बनवाया था। दरअसल स्थानीय कोर्ट में इस संबंध में एक याचिका आठ अप्रैल 2015 में लखनऊ के गोमती नगर निवासी अधिवक्ता हरीशंकर जैन और उनके पांच साथियों ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि ताजमहल कोई मकबरा नहीं बल्कि हिंदुओं का मंदिर है। उनका कहना था कि वहां दर्शन करने और पूजा आरती की परमीशन दी जानी चाहिए। इतना ही नहीं वकीलों ने, ताजमहल के जिन कमरों में ताला लगा है उनके तालों को भी खुलवाने की बात कही थी। बता दें कि ताजमहल में अभी केवल मुस्लिमों को ही नमाज पढ़ने की परमिशन है। इस मामले में अब कोर्ट की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।