कांबिंग जारी, अब तक नहीं लगा दस्यु गिरोह का सुराग

चित्रकूट, मानिकपुर के पाठा स्थित निही जंगल में बबुली कोल डकैत गिरोह से पुलिस की मुठभेड़ के चार दिन बाद भी पुलिस डाकुओं के बारे में कोई सार्थक जानकारी नहीं जुटा पाई है। जबकि खबर है कि पुलिस की गोली से घायल होने के बाद कोल गिरोह ने इसी जंगल में शरण ले रखी है। इसके अलावा, अब तक शव नहीं मिलने की वजह से लवलेश डकैत को मारने का पुलिस का दावा भी झूठा पड़ता दिखाई दे रहा है। इंस्पेक्टर जेपी सिंह के शहीद होने तथा बहिलपुरवा एसओ वीरेंद्र त्रिपाठी के घायल होने के बाद पुलिस अभियान की गति धीमी हो गई है।
डीआईजी ने इन दिनों चित्रकूट में ही डेरा डाल रखा है, लेकिन पुलिस और एसटीएफ की टीम कोल डकैत गिरोह का अब तक सुराग नहीं लगा पाई है। रविवार को भी पुलिस ने निही जंगल में धौरहरा पहाड़ में घेराबंदी जारी रखी। सुबह छह बजे डयूटी बदली गई। पीएसी की कोबरा टीम ने एक ओर से जंगल की सर्चिंग शुरू की। इसके अलावा नागर व करौंहा में भी घेराबंदी की। रात को डोडामाफी के सोसाइटी कोलान में डाकू बबुली कोल के घर व रिश्तेदारों के यहां छापे मारे गए, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। पुलिस को किसी स्रोत से पता चला था कि घायल डाकू को लेकर गैंग के सदस्य यहां पहुंचे हैं। सूत्रों के मुताबिक चार दिनों से पांच लाख 30 हजार का इनामी बबुली कोल व लवलेश कोल घायल अवस्था में जंगल में ही छिपे हुए हैं। पुलिस का दावा है कि वे गंभीर रुप से घायल हैं। गोली लगने के बाद करीब दो किमी तक पुलिस ने डाकुओं का पीछा किया। पुलिस का यह दावा गले नहीं उतरता क्योंकि इतना खून बहने के बाद उसके बचने की संभावना नहीं थी। गुरुवार सुबह दरोगा जेपी सिंह के शहीद होने तथा बहिलपुरवा एसओ वीरेंद्र त्रिपाठी के घायल होने के बाद पुलिस ने सुरक्षात्मक रुख अपना लिया। पुलिस जंगल में बेहद सावधानी से आगे बढ़ रही है। दूसरी ओर दस्यु बबुली कोल व उसके साथी इस क्षेत्र के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं। तीन सौ जवानो के अलावा पीएसी की कोबरा कंपनी और एसटीएफ, दस्यु गिरोह के मुकाबले कमजोर साबित हो रहे हैं। बबुली कोल ने अंतिम बार शनिवार तड़के अपना मोबाइल इस्तेमाल किया था। इसके बाद उसने मोबाइल बंद कर लिया। उसकी स्थिति अब केवल मुखबिरों की सूचना पर निर्भर है।

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