मंदिर-मस्जिद कहीं भी बन सकते हैं, जन्मभूमि नहीं बदल सकती- शंकराचार्य

अहमदाबाद, ज्योतिष एवं द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने 94 वें जन्म दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राम मंदिर मुद्दे पर विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि अयोध्या में बाबर के आने का कोई प्रमाण नहीं है। जब बाबर अयोध्या आया ही नहीं, तब बाबरी मस्जिद का भी कोई प्रमाणिक तथ्य नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ है। यह प्रमाणिक तथ्य है। इस स्थित में अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर का निर्माण कराने में कैसा विवाद।
शंकराचार्य जी ने अपने उदबोधन में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में जो विवाद चल रहा है। वह मंदिर-मस्जिद का विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या है। इस पर फैसला करना है। बाबर के भारत आने के पहले भी यहां मंदिर है। जब तोड़ा गया उस समय भी वहां मंदिर था। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे विवाद में शंकराचार्य जी ने अपने अधिवक्ता विवेक तन्खा के माध्यम से राम जन्मभूमि और मंदिर को लेकर अपना पक्ष प्रस्तुत किया है।
शंकराचार्य जी ने अपने उदबोधन में कहा कि शरीर से नहीं मन से सुख की अनुभूति होती है। मन को शुद्ध करने के लिए धर्म को धारण करना जरूरी होता है। भौतिकता के इस युग में मन को शुद्ध करके ही सुख का अनुभव किया जाता है। मन को विकृति और धर्म का सुविधानुसार उपयोग करने से जो विकृतियां पनप रही हैं। वह दुख का कारण बन रही हैं। अब दिखावे पर ज्यादा ध्यान है। जिसके कारण धन होते भी मनूष्य शरीर और मन से दुखी है।

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