राजस्थान सरकार ने सीबीआई को लगाया मेरे पीछे : वाड्रा

नई दिल्ली, आने वाले दिनों में गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की परेशानी बढ़ने वाली हैं, क्योंकि राजस्थान सरकार की बीकानेर में कथित भूमि घोटाले की सीबीआई की जांच की सिफारिश कर दी है। राजस्थान सरकार की सिफारिश के बाद तिममिलाए सोनिया और राहुल गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने फेसबुक पोस्ट में कहा, राजस्थान सरकार का एक और दुर्भावनापूर्ण पक्ष प्रयास सामने आया। रॉबर्ट वाड्रा ने राजस्थान सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सबसे पहले, राजस्थान पुलिस ने 26 अगस्त 2014 को एफआईआर दायर की, तीन सालों में उन्होंने आरोप पत्र, बुलावा दस्तावेज और कंपनी के अधिकारियों को आरोपी बनाया, लेकिन इसके बाद भी राजस्थान सरकार की जांच एजेंसियों को अभी तक किसी तरह का कोई सबूत नहीं मिला।
रॉबर्ट वाड्रा ने आरोप लगाया कि पुलिस एफआईआर और आरोपपत्रों में असफल रहने पर, राजस्थान सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय को हमारा उत्पीड़न करने के लिए छोड़ दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने छापे और जब्त किए गए दस्तावेजों से हर संभव परेशान करने की कोशिश की लेकिन इसमें भी असफल होने पर सीबीआई को इसके पीछे लगाया गया। रॉबर्ट वाड्रा ने सवालिया लहजे में पूछा क्या राजस्थान सरकार ने अपनी पुलिस और जांच प्रक्रिया में विश्वास खो दिया है। इसके बाद पोस्ट में कहा,वे कुछ भी कर लें, हम अपने सत्य पर अटल रहने वाले है। राजस्थान सरकार ने बीकानेर में भूमि घोटाले की जांच के लिए सीबीआई को मंगलवार को लिखा था, जिसमें वाड्रा की कंपनी से जुड़े लोगों को भी शामिल किया गया था।
इसके बारे में जानकारी देते हुए मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा मामले में 18 एफआईआर दर्ज किए गए हैं, जिनमें से चार वाड़्रा की कंपनी के खिलाफ हैं, जो कथित रूप से करीब 275 बीघा जमीन की अवैध खरीद में शामिल थे। सभी 18 एफआईआर नकली नामों से करीब 1400 बीघा जमीन की खरीदी में शामिल थे। राज्य सरकार ने भूमि सौदे में अनियमितताओं के बाद, बीकानेर में लगभग 374.44 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण रदद कर दिया था। हालांकि सोनिया और राहुल गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करने पर कांग्रेस ने इसे भाजपा की सरकारों पर सीबीआई का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। गौरतलब है कि, यह मुद्दा 2007 का है,जब बीकानेर में 1,400 एकड़ जमीन अवैध रूप से निजी कंपनियों को बेची गई थी। यह जमीन किसानों को मुआवजे के रूप में दी जानी थी जिनके भूखंडों को सरकार ने फायरिंग रेंज स्थापित करने के लिए अधिग्रहण कर लिया था। लेकिन इसके बजाय, यह कथित तौर पर फर्जी लाभार्थियों को बेच दिया गया। उस समय राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार थी।

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