स्वदेश में निर्मित नौवहन प्रणाली गगन को लागू करने की प्रक्रिया शुरु

मुंबई, मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत समुद्र संबंधी नियामक ने स्वदेश निर्मित नौवहन प्रणाली गगन को लागू करने संबंधी चर्चाएं शुरू कर दी हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए पोत परिवहन में महानिदेशक मालिनी शंकर ने कहा, हमने सभी पक्षकारों से बातचीत शुरू कर दी है और रोडमैप को परिभाषित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जुलाई 2015 में गगन लांच करने के बाद से सरकार यह देख रही है कि इस प्रणाली को कहां-कहां लागू किया जा सकता है, समुद्री क्षेत्र में इसे लागू करना इसी कवायद का हिस्सा है। वर्तमान में देश में अमेरिकी और रूसी प्रणालियों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि गगन को अपनाना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि इसके लिए कई तरह की मंजूरियों और काफी अधिक निवेश की जरूरत होगी। सूत्र बताते हैं कि सबसे पहले गगन के लिए इंटरनेशनल मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन की मंजूरी की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि जिन अन्य देशों के पास अपनी खुद की जीपीएस नेविगेशन प्रणालियां हैं उन्हें यह मंजूरी मिलने में दो वर्ष तक का वक्त लगा था। गगन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने 774 करोड़ रूपये के निवेश से संयुक्त रूप से विकसित किया था।

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