10 साल पहले बेची जमीन पर ,मिली रकम से कई गुना ज्यादा का आयकर,किसानो को नोटिस जारी

भोपाल, मध्यप्रदेश में आयकर विभाग ने किसानों के ऊपर करोड़ों रुपयों की देनदारी के नोटिस जारी किए हैं। जिन किसानों ने 2005-06 के बाद अपनी खेती की जमीन बेची हैं। आयकर विभाग ने उन किसानों से कैपिटल गेन के नाम पर कलेक्टर गाइडलाइन और आयकर विभाग की गणना के हिसाब से कैपिटल गेन और इतने वर्षों तक टेक्स और ब्याज नहीं चुकाए जाने पर ब्याज और पेनाल्टी लगाकर करोड़ो रुप्या माँगा जा रहा है। पिछले 2 वर्षों से किसान आयकर विभाग से बुरी तरह परेशान है।
-8 लाख की जमीन पर 40 लाख की टेक्स
2005 – 06 में भानपुर स्थित योगेश्वर सिंह ने 8 लाख रुपए में अपनी जमीन पावर ऑफ अटार्नी के तहत बेच दी थी। जिसके नाम पावर ऑफ अटार्नी थी, उसने 35 लाख रुपए में जमीन बेच दी। इनकम टेक्स विभाग ने बाजार रेट के हिसाब से गणना करके किसान के ऊपर 40 लाख रुपए की देनदारी निकाल दी है। किसान पिछले कई माह से लगातार आयकर विभाग जाकर अपनी स्थिति को बता रहा है। आयकर विभाग नियमों की आड़ लेकर उसे राशि जमा करने को कह रहे हैं।
इसी तरह नीलबड़ के राधेश्याम पाटीदार ने डेढ़ एकड़ जमीन 85 लाख रुपए में बेची थी। उन्होंने अपना पैसा बैंक में जमा करा दिया। 1 साल बाद उन्होंने दूसरी जमीन खरीदी। आयकर विभाग ने विभागीय इंडेक्स के आधार पर जमीन की कीमत निकाली और उसके ऊपर 43 लाख रुपए का शार्ट टर्म कैपिटल गेन मानकर 8.60 लाख रुपए निकाला। उस पर आज की तारीख में ब्याज और पेनाल्टी मिलाकर इस किसान से 1 करोड़ 5 लाख रुपए आयकर विभाग द्वारा जमा करने को कह रहे हैं।
-पैन कार्ड और आयकर की जानकारी ना होने से किसानों पर आफत
कृषि भूमि और कृषि की आय पर आयकर नहीं होने के कारण किसानों को आयकर के प्रावधानों की कोई जानकारी नहीं थी। उनके पास पैन कार्ड भी नहीं था। आयकर विभाग ने समय-समय पर जमीन मूल्यांकन नियम लागू करके कैपिटल गेन के नाम पर किसानों के ऊपर करोड़ों रुपए का टेक्स निकाल दिया है। जिसके कारण अब किसान आत्महत्या करने की बात कर रहे हैं। क्योंकि उनके पास जो थोड़ा मोटा बचा है उससे कई गुना ज्यादा आयकर विभाग उनसे ‘कर’ मांग रहा है।ऐसी स्थिति में उनके पास मरने के अलावा कोई चारा भी नहीं बचा।
-मुस्लिम और अंग्रेज शासकों के दिन यादें ताजा
जिन लोगों ने पिछले 10 -15 वर्षों में अपनी कृषि की जमीन बेची है। उनकी उम्र 60-70 साल से ऊपर की है। उन्होंने अपने बाप-दादाओं से मुस्लिम आक्रांताओं के जजिया कर और अंग्रेजो की कर प्रणाली की बहुत सारी बातें सुन रखी हैं। वह कहते हैं कि ऐसा शासन तो मुस्लिम शासकों और अंग्रेजो का भी नहीं था, जैसा शासन यह है। अब अपनी ही जमीन को बेचने पर उससे ज्यादा टैक्स मांगा जा रहा है। यह कहां का न्याय है और यह कैसी सरकार है।

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