भोपाल, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में 10 हजार करोड़ से अधिक का घोटाला किया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वे इसी घोटाले पर पर्दा डालने के लिए शिवराज सरकार अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का आगमन का ऐसा जश्न मना रही है, जैसे प्रदेश में राम राज्य हो।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को उनके आगमन पर स्वागत सत्कार की इस भव्य रोशनी में प्रदेश का यह काला अध्याय शायद नहीं पता है। शिवराज सरकार में हुए घोटाले और भाजपा नेता, मंत्रियों की लिप्तता पर आज इस मार्च के जरिये भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को बताना चाह रहे हैं कि प्रदेश में हालात ठीक नहीं हैं। प्रधानमंत्री कहते हैं ‘‘भ्रष्टाचार न करेंगे और न करने देंगे” लेकिन मध्यप्रदेश में उनके इस संकल्प का उल्टा ही अर्थ है कि “भ्रष्टाचार करेंगे और करने देंगे।”
6 जून मध्यप्रदेश के लिए काला दिन था। इस दिन अपनी उपज का उचित मूल्य देने की मांग को लेकर आंदोलित किसानों पर मंदसौर जिले के पिपल्या मंडी में पुलिस ने किसानों की छाती पर गोली चलाई। आज तक सरकार ने किसानों की हत्या करने वालों पर तो कोई एफआईआर दर्ज नहीं की लेकिन आंदोलित किसानों को गंभीर धाराओं से लाद दिया गया। यह आंदोलन सरकार के उन दावों के बीच हुआ कि प्रदेश की कृषि विकास दर 20 प्रतिशत है। 5 बार कृषि कर्मण अवार्ड का विजेता है और खेती लाभ का धंधा बन गई है। प्रदेश व्यापी किसान आंदोलन ने सरकार के शर्मनाक झूठ की कलई खोलकर रख दी। सूदखोरों के चंगुल में किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहा है। आज प्रदेश में ढाई माह के अंदर 80 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। कल ही सतना, मुरैना, सागर और मुख्यमंत्री के जिले सीहोर में 4 किसानों ने आत्महत्या की। 50 लाख से अधिक किसान 60 हजार करोड़ के कर्ज में डूबे हैं। उन्हें महंगी दरों पर बिजली, खाद, बीज और डीजल मिल रहा है। उन्हें अपनी उपज बेचने पर सरकारी भुगतान नहीं हो रहा है। सतना में सिर्फ किसान ने इसलिए आत्महत्या की क्योंकि उसके 86 क्विंटल गेहूं का भुगतान सहकारी समिति ने नहीं किया।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने चारों तरफ घोटाला किया है। व्यापमं महाघोटाले ने मध्यप्रदेश को न केवल पूरे देश में बल्कि विश्व में बदनाम किया है। प्रदेश की शिक्षा और रोजगार व्यवस्था को न केवल कलंकित किया बल्कि लाखों मेधावी छात्र-छात्राओं एवं बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। सिंह ने कहा कि होशंगाबाद अकेले में किसानों के नाम पर समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी पर 125 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इसको लेकर हाईकोर्ट में भी मामला लंबित है। इसी तरह सहकारिता में भी किसानों के नाम पर 1384.77 करोड़ का घोटाला इस सरकार में हुआ है, इसमें सीधी में 1100 ट्रैक्टरों के फर्जी लोन स्वीकृत हुए जांच में पता चला कि जो नंबर दिए गए वे मोपेड और ऑटो के निकले। मंदसौर जिले में 1200 करोड़ का फर्जी ऋण स्वीकृत हुआ। नीमच जिला सहकारी बैंक में किसानों का माल वेयरहाउस में फर्जी रूप से दर्शाकर 9 करोड़ का घोटाला किया। ग्वालियर जिला सहकारी बैंक में 30 करोड़, हरदा सहकारी बैंक में 2.77 करोड़, कर्जमाफी के नाम पर 115 करोड़, रीवा में अपात्रों को ऋण बांटने में 1200 करोड़ और रीवा में ही एक अन्य मामले में 16 करोड़ का घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि इसकी पुष्टि स्वयं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने हाल ही में भाजपा से जुड़ी बैठक में किया। जिसमें उन्होंने कहा कि शर्म आती है, कार्यवाही इसलिए नहीं होती क्योंकि गड़बड़ी करने वाले अपने ही लोग हैं। किसानों को बिजली में सब्सिडी देने के लिए इस सरकार ने 4 हजार करोड़ का घोटाला किया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा हमेशा कांग्रेस पर आरोप लगाती रही कि इनके राज में बिजली का अभाव था। मैं शिवराज जी से पूछना चाहता हूँ कि वे कौन सी बिजली उत्पादन की योजनाएं थीं जो कांग्रेस के शासनकाल में शुरू हुई थी और जिसका फायदा भाजपा सरकार अपने पक्ष में उठा रही है। श्री सिंह ने कहा कि गरीब कन्याओं को कन्यादान योजना में भी शिवराज सरकार ने उन्हें भी नहीं बख्शा। योजना में गरीब कन्याओं को दिए जाने वाले उपहार में नकली जेवर, घटिया साड़ी और खराब बर्तन दिए। खरीदी में भी घोटाला किया 240 का कुकर 700 रूपए में खरीदा गया। हाल ही में हुए किसान आंदोलन के बाद किसानों के आक्रोश से घबराई सरकार ने समर्थन मूल्य पर प्याज और दलहन खरीदने का निर्णय लिया। लेकिन इससे किसानों को लाभ नहीं हुआ। दलालों और बिचौलिए ने मिलकर प्याज में 750 करोड़ का घोटाला और दलहन में सिर्फ एक मंडी नरसिंहपुर में 17 करोड़ का घोटाला सामने आया। व्यापारियों ने बाजार मूल्य और समर्थन मूल्य के अंतर से प्रति क्विंटल 1550 रूपए कमाए।
सिंह ने कहा कि वे सिर्फ इसलिए शिवराज सरकार और उनके दूतों के कारनामे अमित शाह को बताना चाहते हैं ताकि उनके इस दावे ‘‘भ्रष्टाचार न करेंगे और न करने देंगे‘‘ की असलियत आम जनता के सामने आ सके।
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