वॉशिंगटन,अमेरिका के वर्जीनिया स्थित शार्लट्सविले इलाके में ‘श्वेत श्रेष्ठतावादी’ रैली का बचाव करने के मुद्दे पर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अलग-थलग पड़ गए हैं। सेना से लेकर ट्रंप प्रशासन से जुड़े लोगों तक ने उनके नश्लवादी विचारों की आलोचना की है। यही नहीं, अब तक उनके सबसे बड़े समर्थक माने जाने वाले, अमेरिका के उद्यमियों और वित्तीय क्षेत्र की बड़ी हस्तियों ने भी ट्रंप के नश्लवादी विचारों से असहमति जताई है।
अमेरिकी सेना के अधिकारियों और टॉप सैन्य अधिकारियों ने भी उनके बयान का खंडन किया है। यहां तक कि ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के नेता भी इस मुद्दे पर उनसे सहमत नहीं हैं। इस मामले में कारोबारियों और उद्योगपतियों का ट्रंप के विरोध में आना सबसे ज्यादा हैरान करता है। अमेरिकी उद्योग और वित्तीय क्षेत्र की बड़ी हस्तियों ने भी इस मुद्दे पर ट्रंप का विरोध किया है। इस वर्ग में ट्रंप पहले से ही काफी लोकप्रिय रहे हैं। इस बयान के बाद इनमें से कई लोगों ने ट्रंप की सलाहकार समिति में बने रहने को लेकर असमर्थता जताई है। जिसकी वजह से राष्ट्रपति ट्रंप को मजबूरन अपनी दो बिजनेस काउंसिलों को भंग करना पड़ा है।
यही नहीं, अमेरिका का सैन्य नेतृत्व भी इस मसले पर राष्ट्रपति के विरोध में उठ खड़ा हुआ है। अमेरिकी सेना, वायु सेना, नौसेना, मरीन्स और नेशनल गार्ड ब्यूरो के प्रमुखों ने सोशल मीडिया पर नव-नाजीवाद और नस्लवाद की निंदा की है। हालांकि उन्होंने अपने संदेशों में सीधे ट्रंप का जिक्र नहीं किया है, लेकिन उनके बयान साफतौर पर ट्रंप के बयान की आलोचना के रूप में देखे जा रहे हैं। रिपब्लिकन पार्टी ने भी वर्जीनिया में हुई रैली और हिंसा की निंदा ही है, हालांकि पार्टी ने ट्रंप के बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। वर्जीनिया में हुए घटनाक्रम और इसपर राष्ट्रपति के रुख ने पूरे ट्रंप प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। उम्मीद है इस मुद्दे पर ह्वाइट हाउस के कुछ वरिष्ठ अधिकारी, ट्रंप का साथ छोड़ सकते हैं।
श्वेत श्रेष्ठतावादी रैली का बचाव कर बुरे फंसे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप
