नई दिल्ली,अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने आगामी पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान धरती के आयनमंडल यानी आयनोस्फियर के अध्ययन की तैयारी पूरी कर ली है। आगामी 21 अगस्त को चंद्रमा सूर्य के ठीक सामने आ जाएगा और जिसकी वजह से अमेरिका में थोड़ी देर के लिए दिन धुंधली रात में तब्दील हो जाएगा। चंद्रमा की छाया सूर्य की रोशनी को पूरी तरह रोक देगी और अगर मौसम साफ रहा तो लोग सूर्य के बाहरी परिमंडल को देख पाएंगे, जिसे कोरोना कहा जाता है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण के कुछ अति सूक्ष्म या नजर नहीं आने वाले प्रभाव भी होंगे, जैसे कि सूर्य से आने वाले पराबैंगनी विकिरण में जबरदस्त गिरावट। आपको बता दें कि इसी पराबैंगनी विकिरण की भी पृथ्वी के वायुमंडल की आयोनाइज्ड सतह बनती है, जिसे आयनमंडल कहा जाता है। वायुमंडल का यह क्षेत्र सूर्य की स्थितियों के अनुसार फैलता और सिकुड़ता रहता है और वैज्ञानिक ग्रहण को पूर्वनिर्धारित प्रयोग की तरह इस्तेमाल करेंगे। अमेरिका के कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी के अंतरिक्ष वैज्ञानिक बॉब मार्शल ने बताया, ‘ग्रहण आयनमंडल के तीव्र ऊर्जा वाले विकिरण के स्रोत को बंद कर देता है। दूसरी तरफ नासा आसमान में गुब्बारे भेजने के लिए अमेरिका में विद्यार्थियों की टीमों के साथ सहयोग कर रही है।
यह कदम व्यापक ग्रहण अवलोकन अभियान का हिस्सा है। इस अभियान से पृथ्वी के अलावा जीवन के बारे में समझ बढ़ाने में मदद मिलेगी। नासा के ‘इक्लिप्स बैलून प्रोजेक्ट’ की अगुवाई मोनटाना स्टेट यूनिवर्सिटी की एंजेला डेस जार्डिन कर रही हैं। इसके तहत ज्यादा ऊंचाई तक जाने वाले 50 गुब्बारे भेजे जाएंगे, जो 21 अगस्त के पूर्ण सूर्य ग्रहण के सजीव फुटेज अंतरिक्ष एजेंसी की वेबसाइट को भेजेंगे। नासा कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली के एमेस रिसर्च सेंटर के साथ कम कीमत के 34 गुब्बारे के प्रयोग के संचालन के लिए सहयोग करेगी। इन गुब्बारों को माइक्रोस्ट्रेट कहते हैं। ये धरती से परे जीवन की क्षमता का पता लगाएंगे।