नई दिल्ली/गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 24 घंटे के दौरान 30 बच्चों की मौत का मामला तूल पकड़ रहा है। सरकारी मशीनरी सफाई देने में जुटी है। अफसरों ने कहा है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी रोगी की मौत नहीं हुई है। वहीं, इस बीच, केंद्र की मोदी सरकार ने यूपी की योगी सरकार से रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को सरकार ने गोरखपुर भेजा है, उनके साथ केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव भी गोरखपुर गए। इस बीच नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, इस मामले पर मेरी नजर है। मैं लगातार केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों से संपर्क में हूं। मोदी ने 15 मिनिट तक गोरखपुर मामले पर योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात की। मेडिकल कॉलेज में भर्ती 7 मरीजों की विभिन्न चिकित्सीय कारणों से 11 अगस्त को मृत्यु हुई। घटना की मजिस्ट्रेटियल जांच के आदेश दे दिए गए हैं। घटना की जानकारी होते ही जिलाधिकारी ने तत्काल मेडिकल कॉलेज पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया तथा निर्देश दिए कि चिकित्सा व्यवस्था में किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरती जाए। जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने मेडिकल कालेज के निरीक्षण के दौरान बताया कि बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन सिलेंडर की कमी नहीं है।
जांच जारी है, गंदगी भी मौत की वजह : योगी
योगी आदित्यनाथ ने कहा- क्या हुआ, कैसे हुआ.. इसकी जांच की जा रही है। दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। योगी ने बच्चों की मौत के लिए गंदगी को भी जिम्मेदार ठहराया है। इलाहाबाद के यमुना पार इलाके में गंगा ग्राम सम्मलेन कार्यक्रम में आए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर में हो रही मौत के पीछे भी गंदगी एक बड़ी वजह है। उन्होंने कहा कि सेप्टिक टैंक लोगों घरों में बनाते हैं, जगह की कमी की वजह से गंदगी फैलती है और फिर यह भयावह रूप ले लेता है।
अगस्त में हर साल मारे जाते हैं बच्चे : स्वास्थ्य मंत्री
गोरखपुर आए स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि ये घटना गंभीर है। हमारी सरकार संवेदनशील है। मुख्यमंत्री ने हमसे बात की। किसी ने ऑक्सीजन सप्लाई के बारे में नहीं बताया। हर साल अगस्त में बच्चों की मौत होती है। अस्पताल में नाजुक बच्चे आते हैं। साल 2014 में 567 बच्चों की मौत हुई। सीएम के दौरे पर गैस सप्लाई को लेकर बात नहीं हुई। अलग-अलग कारणों से बच्चों की मौत हुई। गैस की कमी से बच्चों की मौत नहीं हुई। ऑक्सीजन सप्लाई का मुद्दा देख रहे हैं। ऑक्सीजन गैस सिलेंडर शाम साढ़े 7 बजे से रात साढ़े 11 बजे तक चली। 11.30 बजे से 01.30 बजे तक सप्लाई नहीं हुई, लेकिन इस दौरान किसी बच्चे की मौत नहीं हुई। ऑक्सीजन की अब कोई कमी नहीं है। व्यवस्था ये रहती है कि लो हो तो गैस सिलेंडर लगे रहते हैं तो उसकी व्यवस्था तुरंत शुरू हो गई थी।
जबकि यह है सच
दरअसल अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन तो गुरुवार से ही बंद थी और शुक्रवार को सारे सिलेंडर भी खत्म हो गए। इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरीजों ने दो घंटे तक अम्बू बैग का सहारा लिया। हॉस्पिटल मैनेजमेंट की बड़ी लापरवाही के चलते 33 बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
यह बीमारी बनी मौत की वजह
बच्चों की मौत इन्सेफलाइटिस से हुई। इसे दिमागी बुखार भी कहा जाता है। यह फैलने वाला बुखार है। गोरखपुर और आसपास के इलाकों में यह समस्या लंबे समय से है। बच्चे इसके ज्यादा शिकार होते हैं। तेज बुखार, दर्द के साथ शरीर पर चकत्ते आ जाते हैं।
सपा-बसपा ने योगी का इस्तीफा मांगा
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। सांसद कमलेश पासवान ने अस्पताल का दौरा किया। यूपी की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने वाली है। बसपा भी योगी सरकार के खिलाफ यह मौका हाथ से जाने नहीं देने वाली है। बसपा प्रमुख मायावती ने मामले को लेकर सरकार की लापरवाही मानी है।
यह हादसा नहीं, हत्या है : सत्यार्थी
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने ट्विटर पर कहा है कि बिना ऑक्सीजन के 30 बच्चों की मौत हादसा नहीं, हत्या है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील करते हुए लिखा है कि आपका एक निर्णायक हस्तक्षेप दशकों से चली आ रही भ्रष्ट स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक कर सकता है, ताकि ऐसी घटनाओं को आगे रोका जा सके।
प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है गोरखपुर हादसा : सोनिया
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गोरखपुर में 30 बच्चों की मौत पर गहरा दुख जताया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह भयावह घटना बेहद दुखद है। उन्होंने हादसे का शिकार हुए बच्चों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि यह प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है।