पटना, बिहार में सत्ता परिवर्तन हो चुका है,लेकिन लगता नहीं कि हालत में ज्यादा बदलाव हुआ है।क्योंकि बिहार में जो हालात जेडीयू-राजद के महागंठबंधन के दौरान थे वहीं हालात अभी भी है। नई जेडीयू-बीजेपी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर आरोप है कि उन्होंने अपने आवास पर 4 डॉक्टरों को नियुक्ति किया है। महागठबंधन की सरकार के समय भी स्वास्थ्य मंत्री और लालू यादव के बेटे तेजप्रताप यादव ने भी अपने आवास पर डॉक्टरों की ड्यूटी ला दी थी।इसके बाद उस समय विरोधी पार्टी रही भाजपा ने हंगामा खड़ा कर दिया था। मामले में विवाद को बढ़ता देख सफाई में मंगल पांडे ने कहा कि जैसे ही मैंने मंत्री का पद संभाला, वैसे ही मेरे आवास पर चिकित्सा सहायता के लिए लोगों का आना शुरू हो गया। मेरा कार्यालय तैयार नहीं हुआ। अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हुई थी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की मदद से मैंने अपने आधिकारिक निवास पर डॉक्टरों को नियुक्त किया। जो लोग मेरे आवास पर आ रहे थे, डॉक्टरों ने केवल उन लोगों को परामर्श दिया। मेरे परिवार का कोई भी सदस्य वहां नहीं रहता। महागठबंधन के टूटने के बाद नीतिश और सुशील मोदी पर विद्रोही प्रतिक्रिया देते हुए आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने कहा कि यह सत्ता का दुरुपयोग है। हमारे यहां जब डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति हुई थी, तो बीजेपी ने हंगामा खड़ा कर दिया था।
लालू ने कहा उस समय बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के घर पर डॉक्टरों की तैनाती पद का दुरूपयोग है।अगर लालू प्रसाद यादव की तबियत इतनी ज्यादा खराब थी तो उन्हें एयर लिफ्ट करना चाहिए था या कम से कम आईजीआईएमएस के आईसीयू में भर्ती करना चाहिए। उनके बेटे बिहार के स्वास्थ्य मंत्री हैं तो क्या पद का दुरूपयोग करते हुए केवल सर्दी, खासी और दस्त जैसी मामूली बीमारियों के लिए दर्जनों डॉक्टरों की तैनाती उचित है? मोदी ने कहा था कि आईजीआईएमएस में वैसे ही डॉक्टरों की कमी है, ऐसे में बेचारे डॉक्टरों को आठ-आठ दिन तक आवास पर तैनात करना कहां तक उचित है।