मेधा पाटकर को जबरन किया गिरफ्तार, इंदौर भेजा, लाठीचार्ज में दर्जन भर लोग घायल

धार/बड़वानी, नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर को अनशन के 12वें दिन पुलिस ने घटनास्थल से अपनी हिरासत में ले लिया है। प्रशासन का कहना है कि उन्हें इंदौर ले जाया गया है। अनशन के 12 वें दिन अनशनकारी मेधा पाटकर का स्वास्थ्य काफी गिर गया था। मेधा की गिरफ्तारी के समय कलेक्टर और एसपी सहित भारी पुलिस बल मौजूद रहा। जैसे ही पुलिस आंदोलन स्थल से मेधा पाटकर को उठाकर एम्बुलेंस में अपने साथ ले जाने लगे, तुरंत ही आंदोलनकारी नारेबाजी करते हुए विरोध करने लगे। इसी बीच पुलिस ने लाठी चार्ज किया। जिससे भगदड़ मच गई। लाठीचार्ज में 8 से 10 आंदोलनकारी घायल हुए हैं। आंदोलन स्थल पर तनाव का माहौल है। यहां पर पुलिस ने महिलाओं और आंदोलनकारी पुरुषों पर लाठी चार्ज किया जिससे आंदोलनकारियों में काफी नाराजगी फैल गई। जिला प्रशासन ने आसपास के जिलों से पुलिस बल बुलाकर आंदोलन स्थल पर लगा दिया है। जिसके कारण स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
क्षेत्र में भारी तनाव, इंदौर पहुंच रहे समर्थक
बड़वानी भारी विरोध के बाद पुलिस और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की हुई। भारी तनाव के बीच पुलिस ने आखिर मेधा पाटकर और उनके साथ 5 अनशनकारियों को धरना स्थल से हटा दिया। यहां पर धार व बड़वानी और आसपास के जिलों से भारी मात्रा में पुलिस बल मंगाया गया था। खबर हैं कि नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता भी इंदौर पहुंच रहे हैं।
12 में से 6 लोगों को ले जाया गया
मेधा पाटकर और उनके साथ 11 अनशन पर बैठे थे। इनमें से पुलिस ने 6 लोगों को उठाकर ले गई। जिसके बाद इलाके में और धरना स्थल पर भारी आक्रोश देखा गया। लोगों ने आरोप लगाया कि कि सरकार और पुलिस की यह जबरदस्ती ठीक नहीं है। इधर मेधा पाटकर ने गिरफ़्तारी से ठीक पहले कहा की सरकार हमारे 12 दिन के अनशन पर बैठे हुए १२ साथियों को मात्र गिरफ़्तार करके जवाब दे रही हैं। ये कोई अहिंसक आंदोलन का जवाब नहीं है। मोदीजी के राज में शिवराजजी के राज में एक गहरा संवादन, जो हुआ उस पर जवाब नहीं, आकड़ों का खेल, कानून का उल्लंघन और केवल बल प्रयोग जो आज पुलिस लाकर और कल पानी लाकर करने की उनकी मंशा है। इसका उपयोग ये हम लोग इस देश में गाँधी के सपनों की हत्या मानते है, बाबा साहेब के संविधान को भी न मानने वाले ये राज पर बैठे है। और वह समाजों के, गाओं के, किसानों के, मज़दूरों के, मच्छुवार्रों के कोई परवा नहीं करते है। ये अब इस बात से स्पष्ट हो रहा है। उन्होंने बंदूकों से हत्या की यहां और यहाँ जल हत्या करने के मंशा है इसलिए हम उनके बीच में आ रहे हैं ऐसा उनका मानना है। पहले अनशन तोड़ो बात करो, यह हम कैसे मंज़ूर कर सकते है?

हेमंत गर्ग की रिपोर्ट

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