तिरुवनंतपुरम, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद शुरु हुआ भगवा रथ पूरे उत्तर भारत को भगवा रंग में रंगा चुका है। भारत के नक्शे पर गौर करे तो सिर्फ दक्षिण के राज्यों को छोड़कर पूरा देश भगवा रंग में रग चुका है। अब भाजपा का भगवा रक्ष दक्षिण की ओर चूक कर चुका है। इसका पहला पड़ाव केरल है। बात दे कि केरल में आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या को आधार बनाकर बीजेपी साउथ में अपनी जड़े मजबूत करने में जुट गई है। इसलिए पार्टी हाईकमान ने अपने सीनियर्स लीडर्स को इसकी कमान सौंपी है। इसी रणनीति के तहत वित्तमंत्री अरुण जेटली रविवार को तिरुवनंतपुरम पहुंचे। जटेली के केरल पहुंचने के साथ राजनैतिक गलियारों का चर्चा शुरु हो चुकी हैं वहीं, राजनीतिक जानकार पूरे मामले को दूसरे चश्मे से देखकर समीक्षा में लगे हैं। जानकारों का मानना हैं कि ये भगवा पार्टी का नया मिशन है। इसलिए जमीन हकीकत जानने के लिए मोदी सरकार ने अपने आला दर्जे के सिपहसलाकारों को केरल भेजा है। हालांकि वित्त मंत्री जटेली का कार्यक्रम तो आरएसएस कार्यकर्ता राजेश के घर पहुंचने का था। जिसका कुछ महीने पहले मर्डर कर दिया गया था। इसी दौरान केंद्रीय मंत्री उस आरएसएस कार्यकर्ता के घर भी जाएंगे जो सीपीएम सदस्यों के कथित हमले में बुरी तरह घायल हो गया था। इसके अलावा,वह हिंसा के शिकार अन्य पीड़ित परिवारों से भी बातचीत करेंगे। लेकिन राजनीतिक जानकार,केरल में जेटली के आने का कुछ और ही मकसद बताते हैं। उनके अनुसार, मोदी सरकार राज्य में पार्टी की संभावनाओं और असल राजनीतिक हालात को समझने की कोशिश के तौर पर देख रही है।
बात दे कि लंबे वक्त से यहां सत्ताधारी लेफ्ट और आरएसएस-बीजेपी कार्यकर्ताओं में झड़प चली आ रही है। केंद्र सरकार का यह फैसला संघ और पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल काफी हद तक बढ़ाएगा। जिसके कारण भाजपा का राज्य में अपना जमीनी जनाधार बढ़ने में काफी मदद मिलेगी। वहीं आरएसएस बीते काफी वक्त से राज्य में कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहा है। इस मांग के नजरिए से भी जेटली का दौरा बेहद अहम है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति से लेकर विभिन्न विधानसभा चुनावों में राजनीतिक प्रभुत्व साबित करने के बाद बीजेपी अब इस तरह के क्षेत्रीय मुद्दों पर फोकस करने का मूड बना चुकी है।
सूत्रों ने कहा,सीपीएम को यह नहीं सोचना चाहिए कि बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ताओं की मौत का कोई असर नहीं होगा। शायद ऐसा पहली बार हो, जब सीपीएम को पूर्व में की गई अपनी सभी राजनीतिक हिंसा की कीमत चुकानी पड़े। शांति की किसी भी पहल का बीजेपी स्वागत करेगी, लेकिन पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इन राजनीतिक हत्याओं का इस्तेमाल करके राष्ट्रीय स्तर पर सीपीएम को शर्मसार करने में गुरेज भी नहीं करेगा। सूत्रों की मानें तो जटेली के जाने के बाद आरएसएस चीफ मोहन भागवत भी हालात का जायजा लेने अगले हफ्ते केरल पहुंच सकते हैं।
दरअसल,सीपीएम भी राज्य में हो रही हिंसा के राष्ट्रीय परिदृश्य में आने को लेकर चिंतित है और अपना घर बचाने की कोशिश में लग गई है। पार्टी ने मांग की है कि जेटली को उन लोगों के घरों का भी दौरा करना चाहिए। जिनकी जान कथित तौर पर आरएसएस और बीजेपी सदस्यों की हिंसा में गई है। इसी क्रम में सीपीएम सदस्यों और पीड़ित परिवारों ने रविवार को तिरुअनंतपुरम स्थित राजभवन के सामने प्रदर्शन किया। यहां जेटली गवर्नर से मिलने के लिए आने वाले थे। गवर्नर ने आरएसएस मेंबर की हत्या पर सीएम को तलब किया था। सत्ताधारी पार्टी ने गवर्नर के बर्ताव पर सवाल उठाए थे।